दलाई लामा ने अपने उत्तराधिकारी की घोषणा को लेकर जारी अफवाहों पर एक प्रकार से विराम लगा दिया है। शनिवार को उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वह लोगों की सेवा के लिए 30-40 साल और जीवित रहेंगे। मैकलोडगंज में मुख्य दलाई लामा मंदिर त्सुगलागखांग में रविवार को जन्मदिवस कार्यक्रम आयोजित होगा। इससे पहले, दीर्घायु प्रार्थना समारोह में तेनजिन ग्यात्सो ने कहा कि उन्हें स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि अवलोकितेश्वर का आशीर्वाद उनके साथ है।

‘अवलोकितेश्वर का आशीर्वाद मेरे साथ है’

दलाई लामा ने समारोह में मौजूद 15,000 से ज्यादा भक्तों को संबोधित करते हुए कहा, ‘मुझे कई संकेत मिले हैं कि अवलोकितेश्वर का आशीर्वाद मेरे साथ है। मैंने अब तक अपनी पूरी कोशिश की है और मैं उम्मीद करता हूं कि मैं अभी 30-40 साल और जिऊंगा। आपकी दुआओं का फल मुझे मिला है।’ उन्होंने यह भी बताया कि बचपन से ही उन्हें लगता था कि उनका अवलोकितेश्वर से गहरा नाता है।

तिब्बत के आध्यात्मिक नेता ने हंसते हुए कहा, ‘मैंने अब तक अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है। मुझे उम्मीद है कि मैं अभी 30-40 साल और जीवित रहूंगा। आपकी प्रार्थनाएं अब तक फलदायी रही हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हालांकि हमने अपना देश खो दिया है और हम भारत में निर्वासन में रह रहे हैं। यहीं मैं जीवात्माओं को काफी लाभ पहुंचाने में सक्षम रहा हूं। वे यहां धर्मशाला में रह रहे हैं। मैं जितना संभव हो सके, जीवात्माओं को लाभ पहुंचाने और उनकी सेवा करने की इच्छा रखता हूं।’

उत्तराधिकारी की अफवाहों को किया खारिज

हाल ही में दलाई लामा के उत्तराधिकारी की घोषणा को लेकर कई अफवाहें उड़ रही थीं, खासकर इसलिए क्योंकि उनका 90वां जन्मदिन नजदीक आ रहा था। लेकिन इस मौके पर केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के अध्यक्ष पेन्पा त्सेरिंग ने इन अफवाहों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, ‘यह सब ऐसे नहीं होता। कुछ लोग सोच रहे हैं कि दलाई लामा जल्दी ही कोई बड़ा ऐलान करेंगे या अपनी मृत्यु की बात करेंगे। लेकिन उनकी सेहत अच्छी है और वह कहते हैं कि वह अभी 20 साल और जिएंगे। हमें उनकी परंपरा को समझना चाहिए।’ इस मौके पर उन्होंने चीनी नेता माओ त्से-तुंग से जुड़ा एक प्रसंग भी याद किया।

माओ के साथ अपनी मुलाकात का किया जिक्र

दलाई लामा ने अपने भाषण में कहा कि तिब्बतियों ने भले ही अपना देश खो दिया और भारत में निर्वासित जीवन जी रहे हैं, लेकिन वह फिर भी दूसरों की भलाई के लिए काम करते रहेंगे। उन्होंने कहा, ‘धर्मशाला में रहने वाले लोग हों या दुनिया के किसी और कोने में, मैं सभी की सेवा और भलाई के लिए काम करना चाहता हूं।’ उन्होंने चीनी नेता माओ त्से-तुंग के साथ अपनी मुलाकात का भी जिक्र किया, जब माओ ने कहा था, ‘धर्म जहर है।’ दलाई लामा ने बताया कि उन्होंने इस बात का जवाब नहीं दिया, बल्कि माओ के प्रति करुणा का भाव रखा।

90वें जन्मदिन का भव्य आयोजन

बता दें कि दलाई लामा के 90वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में धर्मशाला में एक हफ्ते तक चलने वाले उत्सव का आयोजन किया गया है। रविवार को होने वाले मुख्य समारोह में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू, जो खुद बौद्ध धर्म को मानते हैं, और राजीव रंजन सिंह हिस्सा लेंगे। इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू, सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग और हॉलीवुड अभिनेता रिचर्ड गेरे भी इस खास मौके पर शामिल होंगे। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के प्रवक्ता तेंजिन लेखशे ने बताया कि शनिवार को आयोजित प्रार्थना समारोह में तिब्बती बौद्ध धर्म के विभिन्न संप्रदायों के प्रतिनिधि, कई मठों के वरिष्ठ लामा और हजारों भक्त शामिल हुए।

भारत आस्था और धर्म के मामलों में पक्ष नहीं लेता: विदेश मंत्रालय

दूसरी ओर, विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि भारत सरकार आस्था और धर्म से जुड़े मामलों में कोई पक्ष नहीं लेती है। मंत्रालय ने यह टिप्पणी दलाई लामा के इस बयान के दो दिन बाद की है जिसमें उन्होंने कहा था कि तिब्बती बौद्धों के एक ट्रस्ट को ही उनके उत्तराधिकारी को तय करने का अधिकार होगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि सरकार ने भारत में सभी के लिए धार्मिक स्वतंत्रता को हमेशा बरकरार रखा है और आगे भी ऐसा करती रहेगी। उन्होंने कहा, ‘हमने दलाई लामा संस्था की निरंतरता के बारे में माननीय दलाई लामा की ओर से दिए गए बयान से संबंधित रिपोर्ट देखी है। भारत सरकार आस्था और धर्म से जुड़े मामलों में कोई पक्ष नहीं लेती है और न ही बोलती है।’

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