पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। पंचायत सचिव तबादले में जिला पंचायत पर मनमानी का आरोप लग रहा है. सिंगल-सिंगल आदेश पर पोस्टिंग और अतिरिक्त प्रभार का खेल खेला जा रहा है. गृह पंचायत से शिकायत के आधार पर हटाए गए सचिव को वापस गृह पंचायत में भेजा गया. अब सचिव को हटाने के लिए ग्रामीणों को जिला पंचायत सीईओ के पास साष्टांग करना पड़ रहा है. परेशान जिला पंचायत सदस्यों का कहना है कि हमने पहले ऐसी मनमानी कभी नहीं देखी.

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दरअसल, पिछले एक माह में जिला पंचायत ने टुकड़ों में 30 से भी ज्यादा पंचायत सचिवों के तबादला और अतिरिक्त प्रभार का आदेश निकाला है. तबादले पहले भी हुए हैं, पर इस बार कुछ आदेश ऐसे निकाले गए कि जिला पंचायत सदस्यों ने इसे जिला पंचायत का तबादला उद्योग नाम दे दिया. पिछले कार्यकाल में जिला पंचायत उपाध्यक्ष रहे जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम ने कई बिंदुओं पर तबादलों पर सवाल खड़ा कर दिया है.

संजय ने कहा कि जनपद पंचायत प्रशासन की सचिव से काम लेना है. कौन कहा क्या कर रहा, उसकी कुंडली जनपद में होती है. नियम के मुताबिक, जनपद सीईओ के प्रस्ताव पर ही सचिवों को तबादला किया जाना होता है. लेकिन पिछले एक महीने में जिस तर्ज में पोस्टिंग और अंतरिक्त प्रभार का आदेश निकाला गया है, उसे कोई नासमझ भी बड़ी आसानी से समझ जाएगा कि तबादला का मकसद आखिर क्या है. संजय ने कलेक्टर से मांग किया है कि सभी तबादला आदेश की समीक्षा की जाए.

आखिर तबादलों पर क्यों सवाल उठाए जा रहे, कुछ आदेशों को समझिए

केस 1

देवभोग जनपद के मुंगिया पंचायत में पदस्थ सचिव देवानंद बीसी को सप्ताह भर पहले कदली मूड़ा पंचायत में पदस्थ करने का आदेश जारी किया गया. इस आदेश के बाद 12 वार्ड पंच व ग्रामीण इसका विरोध शुरू कर दिए हैं. शनिवार को देवभोग दौरे पर आए जिला सीईओ जी आर मरकाम के समक्ष पंच और ग्रामीणों ने लिखित मांग किया है. बताया कि देवानंद कदली मूड़ा का मूल निवासी है. तीन साल पहले तक उसकी हरकतों को देखने के बाद ग्रामीणों की मांग पर उसे हटाया गया, लेकिन दोबारा उसे भेजा जाना समझ से परे था. कुछ ग्रामीण तो सीईओ का पैर पकड़ लिए और हटाने की मांग कर दिए.

केस 2

3 जून को जारी जिला पंचायत के आदेश में मैनपुर जनपद के उरमाल में पदस्थ सत्यरंजन हंसराज को डूमाघाट पदस्थ किया गया. चार्ज की प्रकिया हुई नहीं थी कि 1 जुलाई को जारी आदेश में पंचायत सचिव चम्पेश्वर दास को भी डूमाघाट में पदस्थ कर दिया गया है. डूमाघाट के अतरिक्त प्रभार में रहे सचिव संतोष गुप्ता को पहले मदागमुडा भेजा गया फिर सप्ताह भर में एक और आदेश निकाल रूपेंद्र यादव को पोस्ट कर दिया गया. ऐसे में अब सवाल उठने लगा है कि आखिरकार यह मनमानी किसी के इशारे पर हो रहा है या लेन-देन और सुविधा शुल्क की परिपाटी शुरू कर दी गई है.

केस 3

आदेशों में एक आदेश की चर्चा जमकर है. 3 जुलाई को निकाले गए एक आदेश में मैनपुर जनपद के गोपालपुर सचिव त्रिवेंद्र नागेश और तुहामेटा के त्रिलोक नागेश को आपसी सहमति के आधार पर एक दूसरे के पंचायत में अदला-बदली की गई. लेकिन माह खत्म होते-होते 30 जून को एक और आदेश ने सभी को चौका दिया. नए आदेश के मुताबिक, तुहामेटा पदस्थ हो चुके त्रिवेंद्र को उसके पुराने पंचायत गोपालपुर का अतरिक्त प्रभार दे दिया गया. जबकि त्रिलोक को जनपद में अटैच कर दिया गया. इस आदेश के बाद त्रिलोक आहत है, पर अपने ही विभाग के बड़े अफसरों के खिलाफ खुल कर नहीं बोल पा रहा है.

चर्चा है कि त्रिवेंद्र को दो-दो पंचायत की जवाबदारी देने सारा प्रपंच किया गया. त्रिवेंद्र को जिला पंचायत के बड़े अफसर का करीबी रिश्तेदार बताया जा रहा है. भ्रष्टाचार के आरोप 4 साल से जनपद में अटैच समारु राम को अचानक से जाड़ापदर का सचिव बना दिया गया. गरियाबंद ब्लॉक के पारागांव में पदस्थ कीर्तन राम साहू को मैंनपुर के धारनिधोड़ा करने का आदेश भी सुर्खियां बटोर रही.

सचिव संघ के व्हाट्स ग्रुप में आरोप-प्रत्यारोप

जिला पंचायत द्वारा जारी 20 से भी ज्यादा आदेश चर्चा में है. पंचायत सचिव व्हाट्स ग्रुप में भी आदेशों को लेकर बवाल मचा हुआ है. पंचायत सचिवों और जिला पंचायत प्रशासन के बीच दलाली करने वाले कुछ खाटी पंचायत सचिवों के नाम की चर्चा भी जमकर हो रही है. आरोप यह भी है कि सुराज अभियान में हुए शिकायत के बावजूद कई सचिव की पेशी जिला पंचायत दरबार में कराई गई, उन्हें राहत दिलाने डील भी होने की खबर है.

लोकतंत्र है, आरोप लगाने की स्वतंत्रता सभी को

जिला पंचायत सीईओ जीआर मरकाम कहते हैं कि लोकतंत्र में आरोप लगाने की स्वतंत्रता सभी को है. कई सालों से जमे ऐसे पंचायत सचिव जिनका वर्तमान सरपंच के साथ पटरी नहीं बैठ रहा, उन्हें ही हटाया गया. इसके लिए मांग आई हुई थी. पीएम आवास की प्रगति दोनों के सामंजस्य से हो पाएगा, ऐसे में सरपंचों की मांग पर हो रहा है.