शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्यप्रदेश में पदोन्नति में आरक्षण और प्रक्रिया को लेकर लगातार विरोध के स्वर नजर आ रहे हैं। अब कर्मचारी संगठनों ने एक और बड़ी पदोन्नति नीति में खामी को उजागर किया है। मामला प्रभारी पद से जुड़ा हुआ है। दरअसल, जब प्रदेश में नौ साल से पदोन्नति नहीं हो रही थी तब तत्कालीन शिवराज सरकार ने प्रभारी पद देकर अधिकारियों और कर्मचारियों को जिम्मेदारी दीं। सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया ताकि कामकाज प्रभावित न हों। कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि अब प्रमोशन पाने वाला अधिकारी या कर्मचारी वर्तमान में प्रभारी पद पर कार्य करने वाले के लिए मुसीबत बनेगा। नीति स्पष्ट न होने के कारण प्रभारी पद पर कार्य कर रहे लाखों कर्मचारी-अधिकारी मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित होंगे। साथ ही ऐसी स्थिति भी लगभग सभी विभागों में बनेगी जहां सीनियर अधिकारी को पदोन्नत हुए जुनियर के अधीन काम करना होगा।
मामले पर प्रदेश शासकीय कर्मचारियों के सबसे बड़े संगठन तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने बताया कि बीते 9 साल से प्रमोशन न होने के कारण काम प्रभावित हो रहे थे। सेवानिवृत्ति के कारण पद खाली हो रहे थे। तब पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रभारी के रूप में कार्यभार देकर इस समस्या का रास्ता निकाला था। सभी विभागों में प्रभारी बनाए गए थे। यह प्रभार का पद भी संबंधित विभागों में वरिष्ठता के आधार पर दिया गया। प्रदेश में लाखों की संख्या में प्रभारी पद पर कर्मचारी-अधिकारी काम कर रहे हैं। अब पदोन्नति नियम लागू होने के बाद रोस्टर का खुला उल्लंघन होगा। इसमें सामान्य वर्ग के कर्मचारी-अधिकारी सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। प्रमोशन के बाद अपने अधीनस्थ कर्मचारी के अधीन प्रभारी पद पर बैठा वरिष्ठ का करने के लिए मजबूर होगा।पहले ही आर्थिक तौर पर नुकसान झेल रहे प्रभारी अधिकारी-कर्मचारी मानसिक रूप से प्रताड़ित होंगे साथ ही उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा भी कम होगी। सरकार के पदोन्नति नियम में सबसे बड़ी विसंगति है।
सरकार ने रोस्टर प्रणाली खत्म की- कांग्रेस
मामले पर कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सीताशरण सूर्यवंशी ने बताया कि यह गंभीर मामला है। पदोन्नति नीति में विसंगतियों के कारण लगातार न सिर्फ कर्मचारी वर्ग में आक्रोश व्याप्त है बल्कि प्रदेश भर में आंदोलन भी किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार न तो संविधान से चलती है न ही प्रावधानों का पालन करती है। रोस्टर प्रणाली को भी सरकार ने खत्म किया। पहले सरकारी कर्मचारी-अधिकारी वर्ग को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा तो अब पद विसंगति की प्रताड़ना झेलना होगा। सरकार को इस विसंगति का खामियाजा चुनावों में भुगतना होगा।
प्रावधानों का पालन सभी को करना होगा- बीजेपी
उधर, बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने दावा किया कि पदोन्नति नियम के कारण प्रभारी पद पर कार्यरत कर्मचारी-अधिकारियों को किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी। प्रावधानों का सभी को पालन करना होगा। प्रदेश में पांच लाख से अधिक कर्मचारी-अधिकारी पदोन्नति होंगे। लंबे समय से पदोन्नति का उलझा मामला मोहन सरकार ने सुलझाया है। मामले पर राजनीति कर रही कांग्रेस ने सरकार में रहते कभी कर्मचारी-अधिकारियों के हित में कदम नहीं उठाया।
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