Suna Besha 2025: रविवार को भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन के दुर्लभ एवं पवित्र दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु पुरी में उमड़ पड़े. सभी की निगाहें उन चमकदार आभूषणों पर टिकी थीं, जो देवताओं को स्वर्णिम रूप प्रदान करते हैं.
आषाढ़ शुक्ल एकादशी को मनाए जाने वाले इस विशेष अनुष्ठान में पवित्र त्रिदेव भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा, को श्रीमंदिर के सिंहद्वार के सामने उनके राजसी रथों पर सोने के आभूषणों से सजाया जाता है.
परंपरा के अनुसार, ये सभी आभूषण श्रीमंदिर के खजाने ‘रत्न भंडार’ में सुरक्षित रूप से रखे जाते हैं. इस खास दिन पर, इन्हें भंडारा मेकअप सेवकों द्वारा कड़ी सुरक्षा में बाहर लाया जाता है और पुष्पलक तथा दैतापति पुजारियों को श्रृंगार के लिए सौंप दिया जाता है.

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Suna Besha में उपयोग किए जाने वाले प्रमुख आभूषणों की सूची
- सुना हस्त – सुनहरे हाथ
- सुना पयार – सुनहरे पैर
- सुना मुकुट – सुनहरा मुकुट
- सुना मयूर चंद्रिका – भगवान जगन्नाथ द्वारा धारण किया जाने वाला सुनहरा मोरपंख
- सुना चूलपति – माथे पर पहना जाने वाला पारंपरिक सुनहरा आभूषण
- सुना कुंडल – लटकती हुई गोल आकार की सुनहरी बालियाँ
- सुना राहुरेखा – देवताओं के चारों ओर अर्ध-चौकोर आकार की सुनहरी आभा
- सुना माला – सोने से बनी विभिन्न डिज़ाइनों की मालाएँ, जैसे:
- पद्म माला – कमल के फूल के आकार की माला
- सेवती माला – गुलदाउदी के फूल की माला
- अगस्त्य माला – चाँद के आकार के फूल की माला
- कदंब माला – कदंब के फूल की माला
- काँटे माला – बड़े सोने के मोतियों की माला
- मयूर माला – मोर पंख की आकृति वाली माला
- चंपा माला – चंपक फूल की माला
- सुना चक्र – स्वर्ण चक्र (धर्म चक्र)
- सुना गदा – स्वर्ण गदा
- सुना पद्म – स्वर्ण कमल
- रूपा शंख – चांदी का शंख
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