रोहित कश्यप, मुंगेली। छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले में इन दिनों आगर नदी पर बना खर्राघाट स्टॉपडेम सोशल मीडिया पर सुर्खियों में है. यहां नदी में झाग की मोटी सफेद चादर फैल गई है. दूर से देखने पर यह नजारा किसी फोम पार्टी या “जमीन पर उतरे बादल” की तरह लगता है. लेकिन असलियत इससे कहीं ज्यादा खतरनाक है. स्थानीय लोग और पर्यावरण विशेषज्ञ इसे महज इत्तेफाक नहीं, बल्कि नदी में बढ़ते प्रदूषण का साफ संकेत मान रहे हैं.


प्राकृतिक सुंदरता या रासायनिक खतरा?
एक तरफ स्टॉपडेम में पानी का शांत बहाव, तो दूसरी ओर जलकुंभी की हरियाली और यह झाग, जिसने इलाके को सेल्फी स्पॉट में बदल दिया है. बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं बड़ी संख्या में इसे देखने पहुंच रहे हैं. लेकिन बेहद कम लोग समझ पा रहे हैं कि यह नजारा एक चेतावनी भी है.

विशेषज्ञों के मुताबिक, नदी में इतने झाग का बनना सामान्य प्रक्रिया नहीं होती. यह अक्सर केमिकलयुक्त नाले, डिटर्जेंट, फॉस्फेट या किसी फैक्ट्री के अपशिष्ट जल के सीधे नदी में मिल जाने का नतीजा हो सकता है. इसके अलावा, जलकुंभी की अधिकता भी पानी में ऑक्सीजन की कमी और जैव असंतुलन की ओर इशारा कर रही है.
सोशल मीडिया पर वायरल, हकीकत में खतरनाक
खर्राघाट स्टॉपडेम के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब शेयर की जा रही हैं. लोग इसे “नदियों में जमी हुई बर्फ” जैसा बता रहे हैं. पर सच्चाई यह है कि यह सुंदरता सिर्फ देखने भर की है. झाग असल में नदी के बिगड़ते स्वास्थ्य का सबूत है.
स्थानीय निवासी बताते हैं कि “हर साल बारिश होती है, लेकिन ऐसा झाग हमने कभी नहीं देखा. ये सुंदर तो लग रहा है, लेकिन डरावना भी है.”
प्रशासन से सख्त कदम उठाने की मांग
पर्यावरण प्रेमियों का मानना है कि अब इसे सिर्फ सेल्फी पाइंट कहकर अनदेखा करना बहुत बड़ी भूल होगी. जरूरी है कि प्रशासन तत्काल पानी की गुणवत्ता की जांच कराए और नदी में गिरने वाले सभी अपशिष्ट स्रोतों की पहचान कर उन्हें बंद करे. यदि जांच में रासायनिक प्रदूषण की पुष्टि होती है, तो संबंधित इकाइयों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि अगर नदी को बचाया जा सके.
सवाल उठ रहे हैं
यह पहला मौका नहीं जब किसी नदी में इस तरह का झाग देखने को मिला है. देश के कई हिस्सों में प्रदूषित नदियों में यही नजारा बन चुका है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि यह झाग आया कैसे? और क्या प्रशासन इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाएगा?
जनता की आवाज
स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस मामले को हल्के में न लिया जाए. नदी में गिरने वाले केमिकल और अपशिष्ट का स्रोत पता लगाया जाए और जल्द ही ठोस उपाय किए जाएं.
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