रायपुर। छत्तीसगढ़ ऑर्थोप्लास्टी एसोसिएशन, रायपुरऑर्थोपेडिक सोसायटी और इंडियन ऑर्थोप्लास्टी एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान से आज 6 जुलाई को होटल हयात में एक दिवसीय “रायपुर ऑर्थोप्लास्टी कान्फ्रेंस” आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम की चेयरमैनशिप नारायणा हॉस्पिटल के सुप्रसिद्ध ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. सुनील खेमका ने किया. कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ और आसपास के अन्य प्रांतो से आए 150 से भी ज्यादा ऑर्थोपेडिक सर्जनों ने ‘नी रिप्लेसमेंट सर्जरी’ और ऑर्थराइटिस विषयों पर अपने पेपर प्रस्तुत किये. इस दौरान सभी सर्जन्स ने रोबोटिक नी रिप्लेसमेंट सर्जन द्वय डॉ. प्रीतम अग्रवाल और डॉ. प्रदीप पटेल द्वारा नारायणा हॉस्पिटल से “रोबोटिक पार्शियल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी” का लाइव प्रसारण देखा और अपनी जिज्ञासाओं का डॉ प्रीतम से समाधान लिया.


डॉ. प्रीतम अग्रवाल ने बताया कि, रोबोटिक पार्शियल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी में टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की तुलना में रिकवरी एकदम फास्ट होती है जिससे मरीज जल्दी ही चल फिर सकता है और उसका हॉस्पिटल स्टे भी कम रहता है. पार्शियल रोबोटिक नी रिप्लेसमेंट सर्जरी में घुटने के चारों लिगामेंट जैसे ACL / PCL आदि को काटना नहीं पड़ता, जिससे घुटने का मूवमेंट ज्यादा नेचुरल होता है.
इस तकनीक में घुटने के केवल प्रभावित हिस्से को ही रिप्लेस किया जाता है जिससे हड्डियों और टिश्यू को कम से कम नुकसान होता है अतः सर्जरी के बाद सूजन और दर्द बहुत कम होता है और सर्जरी के बाद मरीज अपनी पहले जैसी ही एक्टिव लाइफ सकता है. मिनिमल इनवेसिव सर्जरी होने के कारण ऑपरेशन का चीरा छोटा होता है जिससे शरीर में स्कॉर भी नहीं दिखाई देता और ऑपरेशन के बाद मरीज के चलने फिरने और सीढ़ियां उतरने चढ़ने की क्षमता लगभग नॉर्मल हो जाती है.

इस कांफ्रेंस में छत्तीसगढ़ ऑर्थोप्लास्टी ऐसोसियेशन के प्रेसिडेंट डॉ. आलोक सी अग्रवाल ने बताया कि रायपुर एम्स में विगत 5 वर्षों से ऑर्थोप्लास्टी में सुपर स्पेशलिटी MCh कोर्स सफलतापूर्वक रन हो रहा है. जिसमें हर वर्ष दो सुपर स्पेशलिस्ट आर्थोपेडिक सर्जन प्रशिक्षित किए जाते हैं.
रायपुर ऑर्थोपेडिक सोसायटी के प्रेसिडेंट डॉ. सुशील शर्मा ने बताया कि ऑर्थोप्लास्टी की नई नई विधाओं को सीखने के लिए ऐसी कॉन्फ्रेंस यंग सर्जन के लिए काफी उपयोगी होती हैं. और छत्तीसगढ़ में ऑर्थोपेडिक से रिलेटेड ऐसी कोई भी सर्जरी नहीं है जो यहां रायपुर में ना होती हो, अतः प्रांत वासियों को मेट्रो सिटीज का रुख करने की कतई जरूरत नहीं है.

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