कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश में दिव्यांग कोटे के तहत हुई सहायक प्राध्यापकों की भर्ती में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। इस मामले के सामने आने के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने सख्त रुख अपनाते हुए जांच के आदेश जारी किए हैं। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले 100 कॉलेजों में कार्यरत सहायक प्राध्यापकों की सूची तैयार की जा रही है, जिसमें विशेष रूप से दिव्यांग कोटे के तहत नियुक्त 17 कॉलेजों के प्राध्यापकों पर जांच की तलवार लटक रही है।

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उच्च शिक्षा विभाग ने दिए है जांच के आदेश

उच्च शिक्षा विभाग ने सभी संबंधित कॉलेजों के प्राचार्यों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने यहां कार्यरत सहायक प्राध्यापकों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें। साथ ही, इन प्राध्यापकों के दिव्यांग प्रमाण पत्रों का सत्यापन मेडिकल बोर्ड से कराने का आदेश दिया गया है। यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (पीएससी) के माध्यम से दिव्यांग कोटे के तहत हुई भर्तियों में फर्जी प्रमाण पत्रों के उपयोग की शिकायतें सामने आई थीं।

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फर्जी दस्तावेजों के आधार पर हासिल की नौकरी

सूत्रों के अनुसार, कुछ अभ्यर्थियों ने कथित रूप से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल की थी, जिसके बाद विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लिया। जांच के दौरान यदि कोई प्राध्यापक दोषी पाया जाता है, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें नौकरी से बर्खास्तगी तक शामिल हो सकती है। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी इस मामले में सक्रियता दिखाई है और सभी कॉलेजों से जल्द से जल्द जानकारी जुटाने का काम शुरू कर दिया है। उच्च शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि इस तरह के फर्जीवाड़े को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त नियम लागू किए जाएंगे।

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