भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस भूषण गवई ने रविवार को कहा कि मातृभाषा में पढ़ाई से न केवल अवधारणाओं की बेहतर समझ विकसित होती है, बल्कि यह जीवनभर के लिए मजबूत संस्कार और मूल्य भी देती है। मुख्य न्यायाधीश ने ये बात दक्षिण मुंबई के गिरगांव स्थित अपने पुराने स्कूल में आयोजित सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए ये बात बोली। उन्होंने कहा कि मराठी में पढ़ाई करने से वह जमीन से जुड़े रहे।

सीजेआई गवई मुंबई स्थित अपने पूर्व विद्यालय ‘चिकित्सक समूह शिरोडकर स्कूल’ के दौरे पर थे, जहां उन्होंने अपने स्कूली दिनों की यादें साझा कीं और अपने पुराने सहपाठियों से भी मुलाकात की। मुख्य न्यायाधीश ने प्राथमिक से लेकर माध्यमिक शिक्षा तक की पढ़ाई इसी मराठी माध्यम स्कूल से की थी। उन्होंने स्कूल परिसर का दौरा किया, कक्षाओं, पुस्तकालय और कला अनुभाग को देखा और पुराने सहपाठियों के साथ आत्मीय बातचीत की।

मुख्य न्यायाधीश गवई ने अपने पुराने स्कूली मित्रों, शिक्षकों और छात्रों की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी मां उन्हें 20 पैसे देती थीं और वह हर दिन बेस्ट बस पकड़कर स्कूल जाते थे।

इस साल नवंबर में रिटायर होंगे जस्टिस गवई

बता दें कि, 24 नवंबर 1960 को जन्मे जस्टिस गवई ने 14 मई को सीजेआई का पद संभाला और वे इस साल 23 नवंबर को रिटायर होंगे। उन्होंने उस स्कूल के शिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त किया, जहां उन्होंने 1969 से 1973 के बीच पढ़ाई की थी, जब उनके पिता आरएस गवई विधान परिषद के सदस्य (एमएलसी) थे और उन्होंने कहा कि “असली आमची (हमारी) मुंबई” में स्थित स्कूल के आस-पास का माहौल अभी भी नहीं बदला है और “चॉल” और “मराठी संस्कृति” अभी भी कायम है।

जस्टिस गवई ने पूछा – “क्या मुझे मराठी में बोलना चाहिए?

जस्टिस गवई ने कहा कि वे असमंजस में हैं कि मराठी में बोलें या अंग्रेजी में। “क्या मुझे मराठी में बोलना चाहिए? क्या सभी समझेंगे? ठीक है। यह अभी महाराष्ट्र में चल रहा है…” उन्होंने कहा और बाकी भाषण मराठी में जारी रखा। मराठी गौरव का मुद्दा वर्तमान में महाराष्ट्र की राजनीति में केन्द्रीय स्थान पर आ गया है, क्योंकि राज्य सरकार ने त्रिभाषा नीति संबंधी निर्णय वापस ले लिया है। न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि स्कूल के दिनों में उनकी वाद-विवाद में रुचि थी और शारीरिक प्रशिक्षण वर्ग छात्रों में अनुशासन लाता था।

सीजेआई गवई ने कहा, “मराठी माध्यम में पढ़ाई करना कोई बाधा नहीं थी, इसने मुझे जमीन से जुड़े रहने में मदद की। आज मैं जिस भी मुकाम पर पहुंचा हूं, उसमें इस स्कूल और मेरे शिक्षकों की अहम भूमिका रही है और मुझे जो शिक्षा और मूल्य मिले, उन्होंने मेरे जीवन को दिशा दी। सार्वजनिक भाषण में मेरी यात्रा इसी मंच से शुरू हुई। भाषण प्रतियोगिताओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से मुझे आत्मविश्वास मिला। मैं आज जो कुछ भी हूं, इन अवसरों की वजह से हूं। मैंने मराठी माध्यम से पढ़ाई की है। अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करने से विषयों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलती है और मजबूत मूल्य भी पैदा होते हैं और वे जीवन भर आपके साथ रहते हैं।”

इस कार्यक्रम में कौशल विकास मंत्री और मुंबई उपनगरीय जिले के संरक्षक मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा, बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश माधव जे जामदार और चिकित्सक समूह के अध्यक्ष किशोर रंगनेकर, सचिव गुरुनाथ पंडित और प्रधानाध्यापिका संचिता गावड़े सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

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