सावन का महीना वास्तव में हमारे शरीर, विशेषकर पाचन तंत्र के लिए संवेदनशील होता है. इसलिए इस मौसम में खान-पान का विशेष ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है. इस समय मसालेदार और तली-भुनी चीजों से क्यों बचना चाहिए, और इनके क्या दुष्प्रभाव हो सकते हैं — आइए विस्तार से जानते हैं.

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सावन और पाचन तंत्र: एक संवेदनशील रिश्ता

पाचन अग्नि क्यों होती है कमजोर?

1. नमी और आर्द्रता: सावन में वातावरण में आर्द्रता (ह्यूमिडिटी) बढ़ जाती है, जिससे शरीर की प्राकृतिक “अग्नि” या पाचन शक्ति मंद हो जाती है.

2. धीमा मेटाबॉलिज्म: इस समय शरीर का मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे भारी और मसालेदार चीजें पचाना कठिन हो जाता है.

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मसालेदार और तली-भुनी चीजों के नुकसान

1. पेट की समस्याएं:

  • एसिडिटी और गैस: गरम मसाले, मिर्च और तला हुआ भोजन पेट में एसिड की मात्रा बढ़ा देते हैं.
  • डायरिया या कब्ज: पाचन तंत्र असंतुलन में आ सकता है, जिससे मल त्याग असामान्य हो जाता है.

2. त्वचा संबंधी समस्याएं:

  • एलर्जी और रैशेज: तीखे मसाले शरीर में गर्मी बढ़ाते हैं, जिससे स्किन इरिटेशन या एलर्जी हो सकती है.
  • मुंहासे: विशेष रूप से ऑयली स्किन वालों को अधिक दिक्कत हो सकती है.

3. रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर:

  • शरीर में सूजन: अत्यधिक मसालों से शरीर में सूजन और थकान महसूस हो सकती है.
  • बीमारियों का खतरा: कमजोर इम्यून सिस्टम मानसूनी बीमारियों (जैसे वायरल फीवर, फ्लू) की चपेट में ला सकता है.

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आयुर्वेद की दृष्टि से सावन में आहार

1. वात दोष का प्रभाव: इस ऋतु में वात दोष बढ़ जाता है, जिससे गैस, कब्ज और जोड़ों में दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

2. सात्विक भोजन की सलाह: हल्का, सुपाच्य और ताजा बना हुआ भोजन — जैसे मूंग की दाल, खिचड़ी, सब्जी-रोटी, छाछ आदि को प्राथमिकता दें.

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