प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा के निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस/एमडी/एमएस पाठ्यक्रमों में एनआरआई कोटे के तहत अयोग्य उम्मीदवारों के प्रवेश के मामले में जांच शुरू की थी। जिसके बाद ईडी ने कोलकाता जोनल कार्यालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) के तहत पश्चिम बंगाल के एक निजी मेडिकल कॉलेज की 6.42 करोड़ रुपये की सावधि जमा को अस्थायी रूप से कुर्क किया है। जांच में पता चला है कि, मेडिकल कालेजों में एनआरआई कोटे की सीटों पर घोटाला किया गया। इन सीटें पर भारी कमीशन लेकर अयोग्य उम्मीदवारों के लिए सुरक्षित की गई। विदेश मंत्रालय ने इस मामले में कुछ जालसाजों की जानकारी राज्य सरकार को दी थी, लेकिन अधिकारी मौन रहे। हालांकि, ईडी ने अब एक्शन लिया है।
निजी मेडिकल कॉलेजों की जाँच
ईडी ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा के विभिन्न निजी मेडिकल कॉलेजों, एजेंटों और अन्य लोगों के ठिकानों पर तलाशी ली गई। इस मामले में विभिन्न आपत्तिजनक सबूत जब्त किए गए हैं। संबंधित व्यक्तियों के बयान दर्ज किए गए हैं। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशा निर्देश, एनआरआई श्रेणी के तहत उम्मीदवारों के प्रायोजकों के लिए पात्रता मानदंड को स्पष्ट करते हैं। ईडी की जांच में पता चला कि कॉलेज प्रबंधन ने एजेंटों के साथ मिलीभगत करके एनआरआई से संबंधित दूतावास के दस्तावेज और फर्जी पारिवारिक जानकारी जुटाई। एजेंटों ने पैसे देकर असंबंधित एनआरआई से संपर्क किया। उनके प्रमाण-पत्र प्राप्त किए। उन प्रमाण-पत्रों का उपयोग नकली दस्तावेज तैयार करने के लिए किया गया।
इन असंबंधित एनआरआई को छात्रों के प्रायोजक के रूप में पेश किया गया। कुछ मामलों में, एजेंटों और मेडिकल कॉलेजों ने 2-3 अलग-अलग और असंबंधित उम्मीदवारों के लिए एनआरआई प्रायोजक दस्तावेजों के एक ही सेट का इस्तेमाल किया। यह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का अनुपालन दिखाने और भारी कमीशन के बदले एनआरआई कोटे के तहत अयोग्य उम्मीदवारों के लिए प्रवेश सुरक्षित करने के लिए किया गया।
ईडी के मुताबिक, विदेश मंत्रालय द्वारा कुछ एनआरआई प्रायोजकों के मामलों में जालसाजी की स्पष्ट जानकारी प्रदान किए जाने के बावजूद, संबंधित राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके अलावा, ईडी की जांच के दौरान, विदेशों में विभिन्न भारतीय वाणिज्य दूतावासों ने सूचित किया है कि कई मामलों में प्रायोजक के एनआरआई प्रमाण पत्र, जिनका उपयोग एनआरआई कोटे के तहत निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश सुरक्षित करने के लिए किया गया था, असली नहीं हैं। इससे पहले, ईडी ने विभिन्न निजी मेडिकल कॉलेजों और व्यक्तियों की 12.33 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की थीं।
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