रायपुर. श्री रामचंद्र स्वामी जैतूसाव मठ के ग्राम धरमपुरा प.ह.नं. 78 ट्रस्ट भूमि की नामांतरण पंजी क्रमांक-143 दिनांक 15 जुलाई 1989 द्वारा किए गए कूटरचित नामांतरण विक्रय व राशि गबन की शिकायत पर रायपुर संभाग के आयुक्त महादेव कावरे ने जांच कमेटी गठित कर दी है. महंत राम आशीष दास द्वारा राज्य शासन, संभागायुक्त रायपुर व कलेक्टर रायपुर से इस पूरे फर्जीवाड़े और दस्तावेजों में की गई कूटरचना की जांच एक उच्च स्तरीय समिति से कराने की मांग की गई है. महंत राम आशीष दास ने बताया कि श्री रामचंद्र स्वामी जैतूसाव मठ की सेजबहार में 92 एकड़ की बेशकीमती जमीन स्थित है. इसकी कीमत करीब 300 करोड़ रुपए अनुमानित बताई जा रही है.

इस 92 एकड़ जमीन में से 29 एकड़ जमीन को वर्ष 2000 में दस्तावेजों में कूटरचना कर विक्रय कर दिया गया है. महंत राम आशीष दास ने बताया कि शासन ने हिंदू धर्मावलंबी की आस्था के बड़े केंद्र श्री रामचन्द्र स्वामी जैतूसाव मठ के इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया है. रायपुर संभाग आयुक्त महादेव कांवरे ने इस पूरे मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति रायपुर संभाग उपायुक्त बीआर जोशी की अध्यक्षता में 4 सदस्यों की समिति गठित की है. इस जांच समिति में राममूर्ति दीवान तहसीलदार रायपुर, पूजा रानी सोरी लेखाधिकारी व मुन्नालाल टाण्डेय अधीक्षक को भी शामिल किया गया है. संभागायुक्त ने इस जांच समिति को निर्देश देते हुए यह लिखित आदेश भी दिए हैं कि प्रकरण की जांच कर 15 कार्य दिवसों में अनिवार्य रूप से जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करें. मंहत राम आशीष द्वारा शासन को प्रस्तुत दस्तावेजों के मुताबिक तात्कालिक मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना व दस्तावेजों में कूटरचना की गई है. वर्ष 1983 को पंजीयक सार्वजनिक न्यास के समक्ष प्रस्तुत कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर मठ की सेजबहार स्थित 92 एकड़ जमीन की बिक्री के लिए अनुमति प्राप्त की गई थी. इस भूमि विक्रय अनुमति के विरुद्ध तात्कालिक मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में वाद दायर कर इस भूमि विक्रय अनुमति पर स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया गया था. न्यायालय द्वारा इस जमीन के विक्रय पर अपने फैसले दिनांक 18 अप्रैल 1984 में रोक लगा दी गई थी. उसके बाद 18 अक्टूबर 1984 को एक अपंजीकृत वसीयतनामा बनाया गया था. इस वसीयतनामा में 92 एकड़ जमीन में से कौन-कौन से खसरे की 29 एकड़ जमीन वसीयत की गई है, उसका उल्लेख नहीं किया गया है.