पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनज़र आज कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर एक निर्णायक बैठक होने जा रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पटना में मुलाकात करने वाले हैं। सूत्रों के अनुसार, बैठक के बाद कांग्रेस लगभग 50-60 सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार हो सकती है, बशर्ते कि उन्हें जीतने योग्य सीटें मिलें।
गुणवत्ता पर जोर, संख्या पर नहीं
2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन महज 19 सीटें ही जीत सकी थी, जिससे उसका स्ट्राइक रेट 27% रहा। इस बार पार्टी ने सीटों को तीन श्रेणियों में बांटा है—‘ए’ श्रेणी में 25-30 मजबूत सीटें, जहां पार्टी का जनाधार अच्छा है ‘बी’ और ‘सी’ श्रेणी में 18-20 ऐसी सीटें हैं जहां कड़ी मेहनत की जरूरत है। कांग्रेस का फोकस इस बार कमजोर शहरी क्षेत्रों की बजाय ग्रामीण इलाकों में है जहां उसका परंपरागत वोट बैंक अल्पसंख्यक, दलित और सवर्ण—मजबूत है।
राहुल-तेजस्वी की बैठक
बैठक में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के बीच सीटों के साथ-साथ मुख्यमंत्री पद को लेकर भी स्पष्टता बन सकती है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस ने तेजस्वी को महागठबंधन का मुख्यमंत्री उम्मीदवार मान लिया है, बदले में उपमुख्यमंत्री जैसे प्रमुख पद की मांग की जा सकती है। इससे पहले 15 अप्रैल को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर हुई बैठक में भी इस मुद्दे पर सकारात्मक बातचीत हुई थी। 17 अप्रैल को पटना में महागठबंधन की बड़ी बैठक में वाम दलों और VIP पार्टी जैसे सहयोगी दलों ने भी हिस्सा लिया।
जीतने योग्य सीटों की पहचान
बिहार कांग्रेस ने अपने प्रभारी कृष्णा अल्लावरु और प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम के नेतृत्व में सीटों की पहचान की है। पार्टी ने अपने नेताओं, पूर्व विधायकों और कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेकर मजबूत सीटों की सूची तैयार की है। कभी भी सीट बंटवारे की औपचारिक घोषणा हो सकती है।
कांग्रेस की जीती हुई 19 सीटें
2020 में जीती गई 19 सीटों में अररिया, औरंगाबाद, कहलगांव, सुल्तानगंज, बक्सर, राजपुर, बिक्रम, बांकीपुर, जमालपुर, खगड़िया, किशनगंज, कदवा, मनिहारी, हिसुआ, नवादा, महाराजगंज आदि शामिल हैं। इसके अलावा कांग्रेस बेगूसराय, समस्तीपुर, पूर्णिया, पूर्वी चंपारण और मधेपुरा जैसे जिलों की लगभग 20 सीटों पर भी दावा ठोक रही है। इन क्षेत्रों में पप्पू यादव और अखिलेश सिंह जैसे नेताओं का स्थानीय प्रभाव है।
कांग्रेस की रणनीतिक दावेदारी
कांग्रेस ने शुरुआती बातचीत में 90 सीटों की मांग की थी जिसे उसकी ‘बार्गेनिंग पावर’ को मजबूत करने की रणनीति माना जा रहा है। आरजेडी शुरू में कांग्रेस को 50 से कम सीटें देने को तैयार थी, लेकिन लालू यादव और खड़गे की सक्रिय भूमिका के बाद यह संख्या बढ़कर 60-70 सीटों तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है।
उभरने की कोशिश कर रही कांग्रेस
कुल मिलाकर, कांग्रेस इस बार बिहार में सिर्फ सहयोगी की भूमिका में नहीं, बल्कि एक स्वतंत्र ताकत के रूप में उभरने की कोशिश कर रही है। सीट बंटवारे पर होने वाला यह अहम फैसला बिहार की राजनीति की दिशा तय कर सकता है।
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