Green FD Rate: पर्यावरण हितैषी निवेशकों के लिए एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है. बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी ग्रीन डिपॉजिट स्कीम की ब्याज दरों में कटौती कर दी है. अब 999 दिनों की इस खास फिक्स्ड डिपॉजिट योजना पर सालाना ब्याज दर 7% से घटाकर 6.7% कर दी गई है. यह दरें 1 लाख से लेकर 10 करोड़ रुपए तक की जमा राशि पर लागू होंगी और 7 जुलाई 2025 से प्रभावी मानी जाएंगी.

सेविंग डिपॉजिट धारकों को भी झटका
न केवल ग्रीन डिपॉजिट में कटौती की गई, बल्कि आम बचत खाताधारकों को भी इस बार नुकसान उठाना पड़ा है. बैंक ने 1 लाख रुपए तक की सेविंग डिपॉजिट पर ब्याज दर को 2.75% से घटाकर 2.50% कर दिया है. जबकि 1 लाख से ऊपर की सेविंग डिपॉजिट पर पुरानी दरें ही लागू रहेंगी.
क्या है Green FD से कैसे अलग है.
ग्रीन डिपॉजिट स्कीम को बैंक ने उन ग्राहकों के लिए डिजाइन किया है, जो सिर्फ निवेश ही नहीं, पर्यावरण की बेहतरी में भी योगदान देना चाहते हैं. इस स्कीम के तहत बैंक निवेश की गई राशि को उन्हीं प्रोजेक्ट्स में लगाता है जो रिन्युएबल एनर्जी (सौर, पवन आदि), ग्रीन बिल्डिंग डेवलपमेंट, स्मार्ट एग्रीकल्चर और वाटर एंड वेस्ट मैनेजमेंट जैसे पर्यावरण-संवेदनशील कार्यों से जुड़े हों.
यह योजना एक प्रकार की फिक्स टर्म डिपॉजिट है, लेकिन इसमें निवेश करने वाला व्यक्ति अप्रत्यक्ष रूप से ग्रीन मिशन का हिस्सा बन जाता है. इसमें न्यूनतम राशि ₹1,000 और अधिकतम ₹3 करोड़ रुपए तक का निवेश किया जा सकता है.
अन्य बैंकों में क्या मिल रहा ब्याज.
बैंक ऑफ इंडिया की इस कटौती के बीच देश के सबसे बड़े बैंक SBI ने भी जून 2025 में अपनी एफडी दरों में 0.25% तक की कटौती की थी. अब वहां 1 साल की FD पर 6.25% ब्याज मिल रहा है. इससे पहले 16 मई को SBI ने 0.20% की कटौती की थी.
FD से जुड़े 5 जरूरी तथ्य, जो हर निवेशक को जानना चाहिए
फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट:
एक बार एफडी कराने पर तय ब्याज दर नहीं बदलती. यानी मार्केट उतार-चढ़ाव से बचाव मिलता है.
लचीली अवधि (Tenure):
FD की अवधि 7 दिन से लेकर 10 साल तक हो सकती है. छोटी अवधि में कम, लंबी अवधि में अधिक ब्याज मिलता है.
पूरी सुरक्षा:
FD पर ₹5 लाख तक का DICGC बीमा कवर मिलता है. यानी बैंक डूब भी जाए, तो आपकी रकम सुरक्षित रहती है.
लिक्विडिटी:
जरूरत पड़ने पर FD तोड़ी जा सकती है, लेकिन इसमें पेनल्टी और कम ब्याज का खतरा होता है.
टैक्स छूट का विकल्प:
5 साल की टैक्स सेविंग FD पर धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की छूट ली जा सकती है. पर ध्यान दें, ब्याज करयोग्य होता है.
अब क्या है विकल्प.
बैंक ऑफ इंडिया में ब्याज दरों में कटौती के बाद निवेशकों के सामने सवाल खड़ा हो गया है कि क्या अब ग्रीन डिपॉजिट में निवेश जारी रखें. अगर आपका मकसद केवल वित्तीय लाभ है, तो अन्य बैंकों की एफडी या डिबेंचर, म्यूचुअल फंड विकल्प हो सकते हैं. लेकिन यदि आप सस्टेनेबल इनवेस्टमेंट को प्राथमिकता देते हैं, तो भले ही रिटर्न घटा हो, लेकिन यह योजना आज भी समाज के लिए मूल्यवान है.
‘Green FD’ से कमाई
बैंक ऑफ इंडिया ने अपने ब्याज दरों में यह बदलाव शायद हालिया रेपो रेट कटौती को देखते हुए किया हो, लेकिन इसका सीधा असर आम निवेशकों और ग्रीन फाइनेंस की दिशा में बढ़ते कदमों पर पड़ेगा. सवाल यह नहीं कि ब्याज दर कम हुई, बल्कि यह है कि क्या अब भी लोग ‘मुनाफे’ से पहले ‘पर्यावरण’ को चुनेंगे.
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