Viceroy Research Report on Vedanta: वो दृश्य याद है जब हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप पर एक रिपोर्ट बम गिराया था? अरबों की संपत्ति एक झटके में स्वाहा, शेयर बाजार में कोहराम और दुनियाभर में भारत की आर्थिक रीढ़ पर सवाल. अब ठीक ढाई साल बाद, उसी तरह की एक और अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म ने भारत के एक और कॉरपोरेट टायकून पर धावा बोला है. इस बार निशाने पर हैं अनिल अग्रवाल और उनकी कंपनी वेदांता लिमिटेड.

शॉर्ट सेलर ‘Viceroy Research’ ने वेदांता पर जो आरोप लगाए हैं, वो किसी कॉर्पोरेट थ्रिलर से कम नहीं. 87 पेज की रिपोर्ट में इसे “पोंजी स्कीम”, “मरता हुआ मेज़बान” और “पैरासाइट कंपनी” करार दिया गया है.

वेदांता के शेयरों में भारी गिरावट

रिपोर्ट जारी होते ही वेदांता लिमिटेड के शेयरों में 3% से ज़्यादा गिरावट आ गई और यह ₹440 के स्तर तक पहुंच गया. वहीं, ग्रुप की दूसरी कंपनी हिंदुस्तान ज़िंक में भी 2.74% की गिरावट देखी गई.

रिपोर्ट के चौंकाने वाले दावे

वायसराय रिसर्च का कहना है कि वेदांता ग्रुप की पैरेंट कंपनी Vedanta Resources Ltd. (VRL) एक ‘पैरासाइट’ की तरह काम कर रही है, जो अपनी सब्सिडियरी Vedanta Ltd. (VEDL) पर आश्रित है.

 रिपोर्ट की मुख्य बातें:

VRL खुद कोई बड़ा बिजनेस ऑपरेट नहीं करती. इसका मुख्य काम VEDL से फंड लेकर खुद को बचाए रखना है.

VEDL के फंड्स का गलत इस्तेमाल हो रहा है, जिससे इसका मौलिक मूल्य लगातार गिर रहा है.

VEDL को डिविडेंड देने का दबाव VRL डालती है, जिससे VEDL को कर्ज़ लेकर डिविडेंड देना पड़ता है.

VEDL के कर्ज की जमानत VRL के लिए दी जा रही है, जिससे निवेशक और लेंडर्स दोनों खतरे में हैं.

पूरी स्ट्रक्चर ‘Ponzi-like’ है—पुराने कर्ज चुकाने के लिए नया कर्ज और VEDL की कमर तोड़ने वाला डिविडेंड प्रेशर.

वेदांता की सफाई

वेदांता ने इस रिपोर्ट को पूरी तरह “झूठा और सनसनीखेज प्रचार” बताया है. कंपनी ने कहा कि “यह रिपोर्ट सिर्फ बाजार में गिरावट से लाभ कमाने के इरादे से पब्लिश की गई है.”

हालांकि, कंपनी ने इस बात का सीधा जवाब नहीं दिया कि क्या VEDL की डिविडेंड पॉलिसी VRL के लोन पेमेंट्स से जुड़ी है.

वेदांता की मौजूदा स्थिति:

VEDL पर कुल कर्ज़ (FY25): ₹60,000 करोड़ से अधिक

VEDL का Free Cash Flow: घटता जा रहा है

पिछले दो सालों में डिविडेंड पेमेंट: ₹37,000 करोड़ से ज़्यादा

VRL की आय का 90% हिस्सा VEDL से आता है

Credit Rating Agencies पहले ही कंपनी की लिक्विडिटी को लेकर चिंता जता चुकी हैं

 हिंडनबर्ग से तुलना क्यों हो रही है?

वायसराय रिसर्च के इस हमले के बाद सोशल मीडिया पर इसे दूसरा “हिंडनबर्ग मोमेंट” बताया जा रहा है. फर्क बस इतना है कि हिंडनबर्ग ने अडानी पर शेल कंपनियों और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया था, जबकि वायसराय रिसर्च वेदांता की कॉर्पोरेट स्ट्रक्चर और कैश फ्लो साइकल को ही शेल गेम बता रहा है.

निवेशकों के लिए चेतावनी?

हालांकि अभी तक सरकार या रेग्युलेटरी एजेंसी (SEBI) की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन निवेशकों को फिलहाल सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है.

क्योंकि अगर वायसराय का दावा सही निकला, तो वेदांता के शेयरहोल्डर्स और लेंडर्स दोनों को बड़ा झटका लग सकता है.

 आखिर सवाल ये उठता है…

क्या वायसराय रिसर्च सच बोल रहा है, या फिर ये सिर्फ एक और शॉर्ट सेलिंग की चाल है?

क्या वाकई वेदांता एक पोंजी स्कीम की तरह काम कर रहा है या यह एक वित्तीय रूप से जूझ रही कंपनी की सामान्य प्रक्रिया है?

जवाब भविष्य के कारोबार और जांच पर निर्भर करेगा, लेकिन एक बात तय है. वेदांता पर मंडरा रहे बादल, निवेशकों के लिए खतरे की घंटी जरूर बजा चुके हैं.