चंडीगढ़ : सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच दशकों पुराना विवाद एक बार फिर चर्चा में है। 9 जुलाई 2025 को केंद्र सरकार की मध्यस्थता में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की चौथी बैठक हुई, जिसमें सकारात्मक रुख के साथ इस मुद्दे के जल्द समाधान की उम्मीद जताई गई।
यह विवाद 1970-80 के दशक से चला आ रहा है और सुप्रीम कोर्ट में इसकी सुनवाई जारी है। अगली बैठक 5 अगस्त को होगी, जबकि सुप्रीम कोर्ट 13 अगस्त को इस मामले की सुनवाई करेगा।
SYL विवाद में कब-कब क्या हुआ?
- 1976-77: पंजाब ने हरियाणा से 1 करोड़ रुपये लेकर SYL नहर निर्माण को मंजूरी दी, लेकिन बाद में काम रुक गया।
- 1979: हरियाणा ने नहर निर्माण की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। पंजाब ने पुनर्गठन एक्ट की धारा 78 को चुनौती दी।
- 1981-82: तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मौजूदगी में दोनों राज्यों के बीच समझौता हुआ। 1982 में इंदिरा गांधी ने पटियाला के कपूरी गांव में नहर निर्माण की नींव रखी।
- 1985: राजीव-लॉन्गोवाल समझौते में पंजाब ने फिर से नहर निर्माण पर सहमति जताई, लेकिन शिरोमणि अकाली दल ने इसका विरोध किया।
- 1990: नहर निर्माण से जुड़े दो इंजीनियरों की हत्या कर दी गई। हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री हुकम सिंह ने निर्माण का जिम्मा BSF को सौंपने की मांग की।
- 2002: सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब को एक साल में नहर बनाने का आदेश दिया, लेकिन काम शुरू नहीं हुआ।
- 2015: हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट से संवैधानिक बेंच गठित करने की मांग की।
- 2016: सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय संवैधानिक बेंच ने सुनवाई शुरू की। पंजाब में 121 किमी लंबी नहर को भरने का काम शुरू हुआ, लेकिन कोर्ट ने इसे रोक दिया।
- 2019: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि दोनों राज्य नहर नहीं बनाते, तो वह खुद निर्माण करवाएगा।
- 2022: सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों को नोटिस जारी कर विवाद सुलझाने को कहा।

केंद्र की मध्यस्थता और बैठकें
केंद्र सरकार ने इस विवाद को सुलझाने के लिए चार बार दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई। पहली बैठक 18 अगस्त 2020, दूसरी 14 अक्टूबर 2022 और तीसरी 4 जनवरी 2023 को हुई, लेकिन कोई सहमति नहीं बनी। 9 जुलाई 2025 को हुई चौथी बैठक में दोनों राज्यों ने सकारात्मक रवैया दिखाया, जिससे समाधान की उम्मीद बढ़ी है। अगली बैठक 5 अगस्त को निर्धारित की गई है।
क्यो हो रहा विवाद ?
SYL नहर का उद्देश्य सतलुज नदी का पानी हरियाणा तक पहुंचाना है, लेकिन पंजाब का तर्क है कि इससे उसके पानी के संसाधनों पर असर पड़ेगा। इस मुद्दे ने दोनों राज्यों के बीच तल्खी बढ़ाई है और कई बार राजनीतिक तनाव का कारण बना है। शिरोमणि अकाली दल सहित पंजाब के कई संगठनों ने इसका विरोध किया है।
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