Guru Purnima 2025: आमतौर पर लोग रिटायर होने के बाद आराम और सूकून की जिंदगी बिताना चाहते हैं. परिवार के साथ अधिक से अधिक समय बिताना चाहते हैं या फिर घुमने निकल जाते हैं. लेकिन एक शिक्षक ऐसे हैं जो कि रिटायर होने के बाद भी आराम से नहीं बैठे और 11 साल से शासकीय स्कूलों में बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान कर रहे हैं. उनका उद्देश्य सिर्फ नींव का पत्थर बनना है. वे चाहते हैं कि कक्षा पहली के बच्चों को 9 माह में ही पढ़ना-लिखना आ जाए.


बिलासपुर से 20 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम खजुरी निवासी करमू सिंह रतन (Karmu Singh Ratan) प्राथमिक पाठशाला खजरी से वर्ष 2014 में प्रधानपाठक के पद से रिटायर हुए. इसके बाद से वे शासकीय प्राथमिक शाला सकेती और खजुरी में बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान कर रहे हैं. रतन गुरूजी ने बताया कि उनका उद्देश्य नींव का पत्थर बनना है.
समस्याओं को दूर करना ध्येय
गुरुजी करमू सिंह रतन (Karmu Singh Ratan) के मुताबिक बालकों की समस्याओं को दूर करना ही प्राथमिकता है. आए दिन यह बात सामने आती है कि कक्षा 5वीं व 8 वीं के बच्चे पहली इसे और दूसरी की पुस्तक नहीं पढ़ सकते हैं. चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए वे रिटायर होने के बाद ग्राम सकेती और खजरी में 3 वर्ष से बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान कर रहे हैं.
दो बार हो चुके हैं पुरस्कृत
बालिका शिक्षा की दिशा में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए वर्ष 2013 में करमू सिंह रतन (Karmu Singh Ratan) को प्रदेश के तात्कालिन राज्यपाल शेखर दत्त सम्मानित कर चुके हैं. इसके अलावा प्रदेश की पूर्व राज्यपाल अनुसुईया उइके उन्हें शिक्षकीय कार्य के लिए सम्मानित कर चुकी हैं.
9 माह में पढ़ना-लिखना सीख जाए बच्चाः रतन
रतन गुरुजी ने बताया कि कक्षा पहली के बच्चों की नींव मजबूत हो और 9 माह में बच्चों को पढ़ना और लिखना आ जाए, इसके साथ ही उनके बस्ते का बोझ भी कम हो, इससे बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास तेजी से होता है. इसके साथ ही वह कबाड़ से जुगाड़ कर नवाचार पद्धति से शिक्षा को सरल बनाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं.