सरगुजा। मानवता की मिसाल पेश करते हुए समाजसेवी संस्था ‘अनोखी सोच’ ने एक बार फिर असहाय परिवार की मदद करते हुए उनके स्वजन का पूरे विधि-विधान से अंतिम संस्कार कराया. यह कार्य न केवल संवेदनशीलता का उदाहरण बना, बल्कि समाज को एक सकारात्मक संदेश भी दे गया.

डूबने से हुई थी युवक की मौत

महामायापारा निवासी बंटी कश्यप (उम्र 32 वर्ष) की बीती रात पानी में डूबने से मौत हो गई थी. परिवार अत्यंत निर्धन है और अंतिम संस्कार की व्यवस्था करने में असमर्थ था. इस पर मृतक की भाभी ने संस्था के अध्यक्ष सूर्यप्रकाश साहू से मदद की गुहार लगाई.

संस्था ने उठाया पूरा दाह संस्कार का जिम्मा

‘अनोखी सोच’ के अध्यक्ष सूर्यप्रकाश साहू एवं उनके साथियों ने शंकरघाट स्थित मुक्तिधाम में पूरे धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ बंटी कश्यप का अंतिम संस्कार करवाया. संस्था ने सारी सामग्री स्वयं उपलब्ध कराई.

10 वर्षीय भतीजे ने दी मुखाग्नि

सबसे भावुक क्षण तब आया जब मृतक को मुखाग्नि देने का कार्य उसके मात्र 10 वर्षीय भतीजे आदित्य ने किया. आदित्य पहले ही अपने पिता और दादा को मुखाग्नि दे चुका है. संस्था ने यह भी वादा किया कि आने वाले समय में आदित्य और उसके परिवार की पूरी जिम्मेदारी वे उठाएंगे, जिससे उनका जीवनयापन सामान्य हो सके.

मौके पर कोई और नहीं आया, सिर्फ संस्था बनी सहारा

घटना स्थल पर मौजूद लोग भावुक हो उठे जब देखा कि इस दुख की घड़ी में कोई अन्य आगे नहीं आया, सिर्फ ‘अनोखी सोच’ ही मदद के लिए सामने आई. संस्था ने न सिर्फ अंतिम संस्कार कराया, बल्कि भविष्य में भी सहयोग देने का भरोसा जताया.

इस सेवा कार्य में शामिल रहे

इस पुनीत कार्य में संस्था के अध्यक्ष सूर्यप्रकाश साहू के साथ पंकज चौधरी, मोती ताम्रकार, राकेश शुक्ला, विजय बंसल, चंद्रप्रताप सिंह एवं अन्य सदस्य भी मौजूद रहे. ‘अनोखी सोच’ संस्था पहले भी कोरोना काल में दर्जनों बेसहारा लोगों का अंतिम संस्कार कर चुकी है. संस्था के इस कार्य ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि जब समाज पीठ फेर ले, तब भी इंसानियत जिंदा है.

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