लखनऊ. योगी सरकार की धर्मांतरण के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है. योगी सरकार के निर्देश पर पिछले 8 वर्षों में यूपी पुलिस, एसटीएफ और एटीएस दो दर्जन से अधिक धर्मांतरण गिरोहों के सरगना और उनके सहयोगियों को गिरफ्तार सलाखों के पीछे धकेल चुकी है. वहीं, अभियोजन विभाग द्वारा कोर्ट में प्रभावी पैरवी, वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर पिछले आठ वर्षों में धर्मांतरण में लिप्त 16 आरोपियों को सजा दिलाई गई. इनमें से 12 आरोपियों काे आजीवन कारावास और 4 आराेपियों को 10 वर्ष के कारावास की सजा दिलाई गई. इसके साथ ही कोर्ट द्वारा आरोपियों पर अर्थदंड भी लगाया गया.

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धर्मांतरण कराते थे धर्मांतरण के आका

डीजीपी राजीव कृष्णा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेशभर में धार्मिक-सामाजिक एकता बनाए रखने और जनसंख्या संतुलन को बिगाड़ने वाली साजिशों को विफल करने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है. अभियान के तहत धर्मांतरण के सरगनाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी है. उन्होंने बताया कि अभियान ने न केवल धर्मांतरण की गहरी जड़ों को उजागर किया, बल्कि संगठित धर्मांतरण गिरोहों की कमर तोड़ दी है. डीजीपी ने बताया कि पिछले आठ वर्षों में प्रदेश भर में धर्मांतरण के खिलाफ कार्रवाई करते हुए दो दर्जन आरोपियों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे धकेला गया है. यह आरोपी उत्तर प्रदेश के साथ दिल्ली, महाराष्ट्र, बिहार, गुजरात और हरियाणा में भी सक्रिय थे. इनका मकसद बहुसंख्यक आबादी में धार्मिक असंतुलन पैदा कर देश की जनसांख्यिकी को बदलना और शांति को भंग करना था. यह लोग गिरोह के संचालन के लिए इस्लामिक दावा सेंटर (आईडीसी) जैसे केंद्रों का उपयोग करते थे, जहां गरीब, असहाय, दिव्यांग और समाज के हाशिए पर खड़े लोगों को बहला-फुसलाकर, नौकरी, इलाज, शादी और पैसे के लालच से धर्मांतरण कराया जाता था. वहीं कुछ अभियुक्तों को प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से प्रेरित भी पाया गया है.

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450 से ज्यादा धर्मांतरण के प्रमाण पत्र बरामद

डीजीपी ने बताया कि अभियान में दबोचे गये आरोपियों ने धर्मांतरण का सुनियोजित नेटवर्क तैयार कर रखा था. इनके कब्जे से 450 से अधिक धर्मांतरण प्रमाण-पत्र और भारी मात्रा में विदेशी फंडिंग के दस्तावेज बरामद हुए थे. धर्मांतरण के लिए पीड़ितों पर मानसिक दबाव बनाया जाता था, उन्हें इस्लाम अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता था और बाद में उन्हें रैली और वीडियो के ज़रिए मॉडल के रूप में प्रस्तुत कर प्रचारित किया जाता था. इनमें से कई आरोपियों के खाते में एफसीआरए के बिना विदेशी चंदा आया था, जिसे उन्होंने धर्मांतरण की गतिविधियों में इस्तेमाल किया. इतना ही नहीं योगी सरकार द्वारा धर्मांतरण के आकाओं और उनके सहयोगियों को कड़ी सजा दिलाने के लिए कोर्ट में प्रभावी पैरवी की गई.

आरोपियों को दिलायी गई कठोर सजा

अभियोजन विभाग के डीजी दीपेश जुनेजा ने बताया कि धर्मांतरण में लिप्त आरोपियों को कोर्ट के जरिए सजा दिलाने के लिए वैज्ञानिक साक्ष्य संकलन और प्रभावी पैरवी सुनिश्चित की गई. इसी का परिणाम है कि पिछले आठ वर्षों में धर्मांतरण में लिप्त आकाओं और उनके सहयोगियों को आजीवन कारावास के साथ अर्थदंड की सजा दिलाई गई. इनमें से 12 आरोपियों को आजीवन कारावास और 4 को 10 वर्षों की कठोर सजा सुनाई गई है. साथ ही कोर्ट द्वारा आरोपियों पर अर्थदंड भी लगाया गया.

धर्मांतरण के इन आरोपियों को दिलाई गई सजा

  1. मोहम्मद उमर गौतम
  2. मौलाना कलीम सिद्दीकी
  3. काज़ी जहांगीर आलम कासमी
  4. इरफान शेख उर्फ इरफान खान
  5. सरफराज अली जाफरी
  6. कौशर आलम
  7. फराज बाबुल्लाह शाह
  8. अब्दुल्ला उमर
  9. धीरज गोविंद राव जगताप
  10. सलाउद्​दीन जैनुद्​दीन शेख
  11. प्रसाद रामेश्वर कांवरे उर्फ आदम
  12. अर्सलान मुस्तफा उर्फ भूप्रिय बंदो
  13. मोहम्मद सलीम
  14. राहुल भोला
  15. मन्नू यादव
  16. कुणाल अशोक चौधरी