पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल भले ही औपचारिक रूप से न बजा हो, लेकिन सियासी बयानबाजी ने चुनावी माहौल गर्मा दिया है। इसी क्रम में केंद्रीय कपड़ा मंत्री और बेगूसराय से बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह का एक नया बयान चर्चा में है, जिसने प्रदेश की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है।
संतों को खड़ा होना चाहिए
गिरिराज सिंह ने बेगूसराय में एक जनसभा को संबोधित करते हुए साधु-संतों से ‘ओम शांति’ की जगह ‘ओम क्रांति’ का नारा अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा, “अब समय आ गया है कि अधर्म के खिलाफ संतों को खड़ा होना चाहिए। शांति से कुछ नहीं होगा, अब क्रांति की जरूरत है।” इसके साथ ही उन्होंने विपक्ष को ‘असुरों’ की तरह बताया, जिससे राजनीतिक तापमान और भी बढ़ गया है।
JDU ने बनाई दूरी
गिरिराज सिंह के इस बयान पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने पलटवार करते हुए बीजेपी को ही ‘असुरी शक्ति’ करार दिया। पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि धार्मिक भावनाओं का राजनीतिक इस्तेमाल करना भाजपा की आदत बन चुकी है। वहीं, बीजेपी की सहयोगी पार्टी JDU ने इस बयान से तुरंत दूरी बना ली। जेडीयू नेताओं ने साफ तौर पर कहा कि यह गिरिराज सिंह के निजी विचार हो सकते हैं, पार्टी का इससे कोई लेना-देना नहीं है। पार्टी ने संकेत दिए कि ऐसी बयानबाजी गठबंधन के लिए नुकसानदेह हो सकती है।
चुनावी गर्मी में बयानबाजी तेज
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जैसे-जैसे बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक आएंगे, नेताओं के बयानों की भाषा और तीखी होती जाएगी। गिरिराज सिंह जैसे नेता, जो अपने विवादित और आक्रामक बयानों के लिए पहले से मशहूर हैं, चुनावी रणनीति के तहत जनता के एक खास वर्ग को संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं।
बयानबाजी बनी सियासत का हथियार
यह पहला मौका नहीं है जब गिरिराज सिंह ने इस तरह का बयान दिया हो। वे पहले भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि बिगाड़ने का आरोप लगा चुके हैं। अब उनके ‘ओम क्रांति’ वाले बयान ने एक बार फिर धर्म और राजनीति के घालमेल पर बहस छेड़ दी है।
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