श्रवण कुमार की कहानी तो सभी सुनी है. लेकिन हापुड़ में एक ऐसा मामला आया है जिसे जानकर आप शायद यकीन ना करें. वो इसलिए क्योंकि शायद आपने ऐसा कभी सुना या देखा ना हो. हम बात कर रहे हैं ऐस बहू की जो अपनी सास के लिए श्रवण कुमार बन गई. वो अपनी सास को श्रवण कुमार की तरह कंधे पर कांवड़ रख यात्रा कराकर वापस लौट रही है. इतना ही नहीं इस काम में उसकी पोती भी उनका साथ दे रही है.

बहू का नाम आरती है. आरती ने अपनी बूढ़ी सास को कांवड़ में बिठाकर यह यात्रा शुरू की, जबकि आमतौर पर लोग इस यात्रा में गंगाजल लाते हैं. आरती की इस सेवा भावना की सोशल मीडिया पर जमकर तारीफ हो रही है. आरती ने पहले अपनी सास को गंगा स्नान कराया और अब उन्हें साथ लेकर हापुड़ लौट रही हैं. इस अनोखे काम की वजह से लोग उन्हें श्रवण कुमार कहकर सम्मान दे रहे हैं. आरती का कहना है कि यह विचार उन्हें भगवान शिव की कृपा से आया. सास ने आरती की ताकत पर थोड़ा संदेह किया था, लेकिन अब वे अपनी बहू पर गर्व महसूस कर रही हैं.

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बता दें कि सावन की शुरुआत हो चुकी है. हरिद्वार में हजारों श्रद्धालु गंगा के किनारे पूजा कर गंगाजल इकट्ठा करते हैं. कांवड़ यात्रा सिर्फ एक धार्मिक रस्म नहीं, बल्कि यह आस्था, सेवा और अनुशासन का प्रतीक है. कांवड़ यात्रा के कुछ नियम होते हैं. बिना स्नान किए कोई कांवड़ नहीं उठा सकता. इस दौरान नशा, मांसाहार, सजावटी चीजें, तेल और साबुन का उपयोग नहीं किया जाता. श्रद्धालु पूरे रास्ते शिव मंत्रों का जाप करते हुए यात्रा करते हैं.