कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर नगर निगम परिषद द्वारा गठित की गई जाँच समितियों को पूरे 02 साल बाद वो दस्तावेज उपलब्ध होने जा रहे है जो जनता से जुड़े कई भ्रष्टाचार और गड़बड़ी की जांच के लिए बनाई गई थी। नगर निगम आयुक्त संघ प्रिय ने सभापति मनोज सिंह तोमर के अंतिम अल्टीमेटम पर बड़ा आदेश जारी किया है। जिसके तहत सभी विभागों के कार्यालय अधीक्षकों को जांच कमेटियों को चाही गयी जानकारी उपलब्ध करानी होगी। साथ ही सभी जिम्मेदार अधिकारियों को महापौर, सभापति,नेता प्रतिपक्ष, MIC सदस्य और पार्षदों के लिखे पत्रों की कार्रवाई की जानकारी भी उन्हें लिखित में देना होगी।
नगर निगम परिषद में 2 साल पहले बनी पार्षदों की जांच कमेटियों की रिपोर्ट अभी तक साफ नहीं हो सकी है,परिषद के साधारण सम्मेलनों में पार्षद इसे लेकर दुखी भी नजर आते रहे हैं। अफसरों पर आरोप भी लगाए गए हैं की जांच कमेटियों के पत्रों के बाद भी उन्हें जांच से जुड़े जरूरी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जाते। इसके चलते जनता से जुड़े मामलों में हुई गड़बड़ियों की सच्चाई निगम परिषद के पटल पर नहीं रखी जा पा रही है। इन हालातों के चलते परिषद पर अफ़सरशाही हावी होती हुई दिखी। क्योंकि जानकारी न देने का ये दर्द कुछ दिन, महीने या साल का नही बल्कि पूरे 2 साल का है।
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अमृत प्रोजेक्ट:- इसमें हुई गड़बड़ी की जांच के लिए पार्षदों की समिति का गठन 31 मई 2023 को हुआ, इसमें कराए गए काम जैसे जलप्रदाय, सीवर, पार्क और नाला निर्माण संबंधी मामलों की जांच होनी है। नेता प्रतिपक्ष हरपाल को संयोजक बनाया गया, सदस्यों में पार्षद ज्योति, मनोज,पीपी शर्मा और प्रमोद को रखा गया, एक महा जांच की अवधि थी लेकिन अब तक इस प्रोजेक्ट की जांच पूरी नहीं हो सकी।
वर्कशॉप डिपो गड़बड़ी:- इसके लिए जांच समिति का गठन 14 फरवरी 2024 में हुआ, जिसमें संयोजक नागेंद्र राणा, सदस्यों में पार्षद मोहित,सुरेश, चांदनी और सईदा को बनाया गया। जांच की अवधि एक महीना थी लेकिन जांच अब तक पूरी नहीं हो सकी
होर्डिंग गड़बड़ी:- इसकी जांच के लिए समिति का गठन 9 फरवरी 2024 को हुआ, जिसमें संयोजक रविंद्र सिंह तोमर को बनाया गया,वहीं पार्षद विवेक, प्रेमलता सहित तीन अन्य को सदस्य बनाया गया। इसकी जांच की अवधि भी एक महीने थी लेकिन यह जांच भी पूरी नहीं हो सकी है
प्रधानमंत्री आवास योजना गड़बड़ी:- इस गंभीर मामले को लेकर जांच समिति का गठन 9 फरवरी 2024 को किया गया। समिति में संयोजक देवेंद्र राठौर को बनाया गया,वहीं पार्षद जितेंद्र मुद्गल, अपर्णा पाटील, अनीता धाकड़ और शकील बांसुरी को इसका सदस्य बनाया गया। एक महीने की जांच अवधि वाली इस समिति की जांच दस्तावेजों के अभाव में आज तक पूरी नहीं हो सकी है
बीते दिनों परिषद के साधारण सम्मेलन में सत्ता और विपक्ष के पार्षदों द्वारा इस मामले को गर्मजोशी के साथ उठाया गया। जिसके बाद सभापति मनोज सिंह तोमर ने नगर निगम आयुक्त संघ प्रिय को आसंदी से आदेश दिया था कि जांच समितियां को सभी जरूरी दस्तावेज एक सप्ताह के अंदर उपलब्ध कराए जाएं। इसके बाद अब नगर निगम आयुक्त ने सभी विभागों के कार्यालय अधीक्षकों को दस्तावेज उपलब्ध कराने के आदेश दिए हैं।
बहरहाल पूरे 2 साल बाद जांच समितियां को जरूरी दस्तावेज मिल रहे है, इससे जनता से जुड़े मामलों में हुई गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की जांच पूरी होने पर दोषियों पर कार्रवाई भी हो सकेगी।
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