सुशील सलाम, कांकेर. जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर बांसकुंड गांव में बहने वाली चिनार नदी में आजादी के 70 दशक बाद भी अब तक गांव वालों को पुल नसीब नहीं हुआ है. बांसकुंड गांव के तीन आश्रित गांव ऊपर तोनका, नीचे तोनका और चलाचूर के 500 ग्रामीण बरसात के 3 महीने जिला मुख्यालय, ब्लाक मुख्यालय, और ग्राम पंचायत से कट जाते हैं. ग्रामीण चिनार नदी पर बने स्टॉपडैम से आवागमन करते हैं. इस बार भी ग्रामीण स्टॉपडैम के 16 पिलरों को कूद कर रोज आना-जाना कर रहे. इस दौरान ग्रामीणों के जान काे खतरा बना रहता है.
ग्रमीणों ने बताया कि ऊपर तोनका, नीचे तोनका और चलाचूर तीन गांव के ग्रामीण आजादी के बाद से लगातार चिनार नदी पर पुल बनाने की मांग कर रहे हैं. लंबे संघर्ष के बाद हाटकर्रा गांव से ऊपर तोनका 4 किमी सड़क तो बनवा दी, लेकिन जिम्मेदार पुल बनाना भूल गए. यही कारण है कि ग्रामीण रोज स्टॉपडैम के 16 पिलर को फांद कर आना जाना करते हैं. खाद-बीज या दैनिक उपयोग के राशन समान को ग्रामीण कांधे पर लादकर रोजाना 16 पिलरों को लांघ कर पार करते हैं.


स्टॉपडैम के पिलरों को लांघ कर स्कूल आते-जाते हैं बच्चे
ग्रामीणों ने बताया कि नदी उफान पर होने से स्कूल में पढ़ाने बारिश में शिक्षक नहीं आ पाते हैं. ऊपर तोनका और नीचे तोनका गांव में प्राथमिक पाठ शाला है, लेकिन हाईस्कूल व हायर सेकेंडरी पढ़ने छात्रों को नदी पार कर बांसकुंड आना होता है. बच्चे भी पानी कम रहने पर इसी तरह रोज स्टॉपडैम के पिलरों को लांघ कर स्कूल आते-जाते हैं. राशन लेने जाने में भी दिक्कत होती है. आपात स्थिति में मरीजों को अस्पताल ले जाना संभव नहीं हो पाता. गांव में ही बरसात के दिनों में इलाज करते हैं.
पिछले साल पिलर लांघते नदी में गिरा था स्कूली बच्चा
गौरतलब है कि स्टॉप डेम में 16 पिलर है. मतलब एक बार ग्रामीण आ रहे तो आना-जाना कर उन्हें 32 बार पिलरों में कूदना पड़ेगा. अगर ग्रामीण 4 बार भी आना-जाना किए तो 128 बार उन्हें छलांग लगाना पड़ेगा और ये जोखिम भरा भी है. ग्रामीण बताते हैं कि बरसात में यहां हर साल हादसे होते रहते हैं. पिछले साल एक स्कूली बच्चा पिलर लांघते समय नदी में गिर गया था. ग्रामीण वहां पर मौजूद थे इसलिए उसे बचा पाए. उसके बाद एक शिक्षक भी गिर गया था, जो खुद तैर कर बच गए.
इस बार ग्रामीणों ने नहीं बनाया अस्थायी पुल
ग्रामीणों का कहना है कि चिनार नदी पर 10 साल पहले स्टॉपडैम जरूर बनाया गया था, जिसमें गेट नहीं होने से पानी नहीं रूकता था. परेशान ग्रामीणों ने जुगाड़ तरकीब निकाली. अनुपयोगी स्टॉपडैम पर बारिश के पहले बांस-बल्ली से कच्चा पुल बनाते हैं. इसी कच्चे पुल से जब तक नदी में पानी रहता है ग्रामीण आना-जाना करते हैं. हालांकि इस साल ग्रामीणों ने कच्चा पुल नहीं बनाया है और इस तरह स्टॉपडैम के पिलरों को छलांग लगाकर ग्रामीण आवागमन कर रहे हैं.
जल्द पक्का पुल बनाया जाएगा : सीईओ
इस मामले में जिला पंचायत सीईओ हरेश मंडावी का कहना है कि ग्रामीण पुल की मांग पहले से कर रहे हैं. हमने शासन स्तर पर पुल का प्रस्ताव भेजा है. जल्द ही ग्रामीणों को पक्का पुल मिल जाएगा. हम लगातार अंदरुनी क्षेत्रों में सड़क और पुल-पुलियों का जाल बिछा रहे हैं. ग्रामीणों को परेशानी न हो इसीलिए जल्द वहां पक्का पुल बनाया जाएगा.