श्रावण मास में शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है. इस पावन महीने में मंत्रों का उच्चारण न केवल आस्था का प्रतीक होता है, बल्कि यह ऊर्जा और सकारात्मकता का भी स्रोत बनता है. लेकिन अक्सर यह भ्रम रहता है कि ‘ॐ नमः शिवाय’ और ‘ॐ गं गणपतये नमः’ — इन दोनों में से कौन-सा मंत्र कब और क्यों जपें?

पूरा विश्लेषण जानने से पहले यह समझना आवश्यक है कि मंत्र का प्रभाव तभी होता है जब उसे श्रद्धा, एकाग्रता और नियमितता के साथ जप किया जाए. श्रावण मास इस साधना के लिए श्रेष्ठ समय माना गया है.

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‘ॐ नमः शिवाय’ – शिव को समर्पित महामंत्र

कब करें: श्रावण मास के सोमवार को, प्रातः स्नान के बाद अथवा जब भी आप मानसिक शांति की तलाश में हों.

क्यों करें: यह पंचाक्षरी मंत्र शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करता है. यह जीवन की कठिनाइयों और मानसिक तनाव से राहत दिलाने में सहायक होता है.

विधि: रुद्राक्ष की माला से 108 बार जाप करें. शांत वातावरण में बैठकर दीपक जलाएं और शिवलिंग के समक्ष श्रद्धा से मंत्र का उच्चारण करें.

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‘ॐ गं गणपतये नमः’ – विघ्नहर्ता गणेश का आह्वान

कब करें: प्रत्येक बुधवार को, किसी नए कार्य की शुरुआत से पहले, या जब आपके कार्यों में बार-बार बाधाएं आ रही हों.

क्यों करें: गणेश जी सभी विघ्नों को दूर करते हैं. यह मंत्र सफलता, एकाग्रता और शुभता प्रदान करता है.

विधि: लाल चंदन की माला से 108 बार जाप करें. गणेश जी की मूर्ति या चित्र के सामने घी का दीपक जलाकर ध्यानपूर्वक जप करें.

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श्रावण मास में मंत्रों का संयोजन कैसे करें?

सोमवार को ‘ॐ नमः शिवाय’ का जप कर शिव को प्रसन्न करें. बुधवार को ‘ॐ गं गणपतये नमः’ का जाप कर कार्यसिद्धि की कामना करें. यदि किसी कार्य में विशेष सफलता चाहिए, तो पहले गणेश मंत्र का जप करें और फिर शिव मंत्र से साधना को पूर्ण करें.

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