सत्यपाल राजपूत, रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी, जो कभी अपनी हरियाली और शांति के लिए जानी जाती थी, आज एक अनोखे तमाशे का गवाह बन रही है. सड़कों पर टंगे, छतों पर खड़े दैत्याकार होर्डिंग्स, फ्लेक्स और बैनर अब सिर्फ विज्ञापन नहीं, बल्कि यमराज के दूत बन चुके हैं. स्मार्ट सिटी का तमगा लिए रायपुर की सड़कें अब ऐसी लगती हैं, मानो हर चौक-चौराहे पर मौत का निमंत्रण लटक रहा हो. हवा का एक झोंका, और ये लोहे के राक्षस बिजली की तारों पर जा गिरते हैं, जिससे शहर अंधेरे में डूब जाता है और लोग अपनी जान हथेली पर लिए सड़कों पर चलते हैं.

जंगल में नहीं, सड़कों पर मंडराता खतरा

रायपुर में चलते वक्त अब आपको नजरें ऊपर रखनी पड़ती हैं, क्योंकि नीचे सड़क तो स्मार्ट है, पर ऊपर लटकते होर्डिंग्स किसी जंगली जानवर से कम नहीं. ये विशालकाय फ्लेक्स, जो नेताओं की मुस्कान, जन्मदिन की बधाइयाँ और कोचिंग सेंटरों के ‘100% रिजल्ट’ का दम भरते हैं, अब शहरवासियों के लिए सिरदर्द बन चुके हैं. 2025 में तीन भीषण तूफानों ने रायपुर को हिलाकर रख दिया. 80-90 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाले इन तूफानों ने फ्लेक्स को बिजली की तारों पर लटकने का ‘मौका’ दिया, और नतीजा? घंटों बिजली गुल, सड़कों पर अंधेरा और लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर

1 मई 2025 को देवेंद्र नगर में एक शेड ढह गया, जैसे कोई सुपरहीरो फिल्म का सेट उजड़ गया हो. राष्ट्रीय राजमार्ग का टोल प्लाज़ा तक ताश के पत्तों की तरह बिखर गया. फिर 10 जून को शंकर नगर चौक में एक फटा फ्लेक्स 33 केवी लाइन पर जा गिरा. पूरा इलाका अंधेरे में डूबा, और बिजली कर्मचारी रात 2 बजे तक 35 जगहों से फ्लेक्स हटाते रहे. अब आप ही बताइए, ये स्मार्ट सिटी है या सर्कस का मैदान, जहां हर तूफान में फ्लेक्स उड़ते हैं और लोग डर के मारे घरों में दुबक जाते हैं? जो बाहर होते है दुर्घटना के शिकार होते कोई  दुर्घटना के शिकार लोगों में कई लोग हॉस्पिटल पहुँचते हैं तो कई श्मशान ghaat

जंग खाए ढांचे, टूटी उम्मीदें

लल्लूराम डॉट कॉम की ग्राउंड रिपोर्ट में हमारे प्रमुख संवाददाता सत्या राजपूत ने इन होर्डिंग्स का जायजा लिया. नजारा ऐसा था, मानो कोई डरावनी फिल्म का सेट हो. जंग खाए लोहे के ढांचे, टूटी-फूटी बेस बीम में दरारे और उन पर लटकते फ्लेक्स, जो किसी भी पल ढहने को तैयार हैं. ये होर्डिंग्स सिर्फ विज्ञापन नहीं, बल्कि शहर की सुंदरता पर बदनुमा दाग हैं. सामाजिक कार्यकर्ता नितिन सिंघवी ने तो इसे जलवायु संकट का हिस्सा बता दिया. उनका कहना है, “ये तूफान अब मौसम का बदलाव नहीं, बल्कि जलवायु आपदा हैं. रायपुर को अब स्मार्ट सिटी नहीं, सुरक्षित सिटी बनने की जरूरत है

नगर निगम का ‘स्मार्ट’ बहाना

रायपुर नगर निगम के आयुक्त विश्वदीप का दावा है कि अवैध होर्डिंग्स पर कार्रवाई हो रही है और तूफानों में गिरे फ्लेक्स को तुरंत हटाया जाता है. सुनने में तो लगता है कि नगर निगम के पास सुपरमैन की फौज है, जो पलक झपकते फ्लेक्स हटाती है. लेकिन हकीकत? शहर में 3000 से ज्यादा होर्डिंग्स की जाँच ‘चल रही है. अरे भाई, ये जाँच कब खत्म होगी? जब कोई बड़ा हादसा हो जाएगा? आयुक्त जी कहते हैं, “हमने टीमें गठित की है. लेकिन सवाल ये है कि ये टीमें कागजों पर दौड़ रही हैं या सड़कों पर? 

सड़क दुर्घटना सड़क जागरूकता को लेकर काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता, एन जी ओ के समीर पी वेन्सयानी, दीपक सिन्हा, भावेश केसवानी ने कहा चौक चौराहे , मेन रोड हो या गली , बिजली के पोल हो या रोड डिवाइडर या पेड़ , हर जगह ये खूबसूरत फ्लेक्स हमारे रायपुर शहर खूबसूरती बढ़ा रहे है , जिसका बैन होना बहुत आवश्यक है . हमारे शहर में हर साल लगभग 1500 से 2000 के आस पास दुर्घटना घटती है ऐसे फ्लेक्स का बैन होना आवश्यक हैं और कार्यवाही होना भी जरूरी है फ्लेक्स अपने उन पैड प्रमोशन के बोर्ड पर ही लगे , जहां किसी को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी सभी अनजान दुर्घटना से सुरक्षित भी रहेंगे

इंसान, पशु, प्रकृति सभी को नुकसान हो रहा हैं

राजस्व का लालच, ज़िंदगी का सौदा

बात जब राजस्व की आती है, तो नगर निगम और जिला प्रशासन की आँखें चमकने लगती हैं. हर होर्डिंग से लाखों की कमाई जो हो रही है! लेकिन सवाल ये है—क्या कुछ लाखों का राजस्व लाखों ज़िंदगियों से ज्यादा कीमती है? नेताओं के जन्मदिन, कंपनियों के प्रचार और ‘सुपर डुपर डिस्काउंट’ के फ्लेक्स शहर की सड़कों पर सजते हैं, लेकिन इनके जंग खाए ढांचे किसी भी पल ढह सकते हैं. प्रशासन को ये समझना होगा कि स्मार्ट सिटी का तमगा तब तक बेकार है, जब तक शहरवासी सुरक्षित नहीं

जलवायु संकट और फ्लेक्स का तमाशा

ये होर्डिंग्स अब सिर्फ विज्ञापन का साधन नहीं, बल्कि जलवायु संकट का हिस्सा बन चुके हैं. हर तूफान में फटकर बिजली की तारों पर गिरने वाले ये फ्लेक्स लाखों लोगों की ज़िंदगी को अंधेरे में डुबो रहे हैं. भीषण गर्मी आप सब ne देखा है बिजली गुल होने से लोग त्रस्त रहे . छत्तीसगढ़ स्टेट पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड की अनुमति के बिना कोई होर्डिंग न लगे, ये सुनिश्चित करना होगा. उन खतरनाक ढांचों को तुरंत हटाया जाए, जो बिजली लाइनों के लिए खतरा हैं

जागो प्रशासन, जागो

रायपुर की सड़कों पर ये होर्डिंग्स अब विज्ञापन नहीं, बल्कि मौत का फरमान बन चुके हैं. प्रशासन और नगर निगम को चाहिए कि वो राजस्व के लालच को छोड़कर लोगों की जान की कीमत समझे. ये स्मार्ट सिटी का सपना तभी पूरा होगा, जब हर सड़क, हर चौक-चौराहा सुरक्षित होगा. हमारे प्रमुख संवाददाता सत्या राजपूत की ये रिपोर्ट एक चेतावनी है अब जागने का वक्त है क्योंकि ज़िंदगी अनमोल है, और इसे राजस्व के तराजू में नहीं तौला जा सकता.

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