Sawan Special: लहरिया बिना अधूरा है सावन, जानें इसे पहनने का महत्व...
सावन मतलब हर जगह हरियाली खुशहाली, हिंदू धर्म में सावन माह से ही त्योहारों की शुरुआत होती है इस लिए ये महीना बहुत खास होता है.
इस माह में भगवान शिव के पूजा-उपासना की जाती है उनके लिए व्रत रखे जाते हैं और महिलाएं कुछ खास चीज़ों को इस महीने अपने साज-श्रृंगार में शामिल करती है जिसमें से एक है लहरिया.
सावन में लहरिया पहनना बहुत ही शुभ माना गया है, पहले ये लहरिया प्रिंट केवल मेवाड़ के राजघराने के लिए ही बनता था.
इसे सावन में पहनना महिलाएं शुभ मानती हैं जैसे उत्तर भारत और दूसरी जगहों पर तीज के अवसर पर हरी-भरी धरती के रंग में रंग जाने की कामना महिलाओं को होती है, तो वे हरे रंग के कपड़े पहनती हैं.
ठीक उसी तरह राजस्थान में परिधान रंग-बिरंगा हो जाता है, इस वजह से यहां लहरिया पहना जाता है.
लहरिया कई प्रकार के होते है, चलिए जानते है...
- जो बारीक लाइन का लहरिया होता है उसे राज शाही लहरिया कहते है.
- एक लहरिया में ही स्काई ब्लू, पिंक और येलो कलर के मिक्स का जो लहरिया आता है उसे समदर लहरिया बोलते है.
- ग्रीन कलर का उसमें रेड और रानी कलर की बड़ी बड़ी मोटी लाइन्स होती है वो भोपालशाही लहरिया के नाम से जाना जाता है.
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