कुंदन कुमार, पटना। कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बिहार सरकार पर जमकर हमला बोला है। श्रीनेत ने कहा कि, 2025 का यह साल आजादी के सात दशक बीत गए, लेकिन हत्याओं का दौर लगातार जारी है। कारोबारी लगातार निशाने बनाए जा रहे हैं। अगर धंधा करने वाले, कारोबार करने वाले को चुन-चुन कर मर जाएगा और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेगी तो कहा जायेंगे कारोबारी?

बढ़ते अपराध को लेकर बोला हमला

इस दौरान सुप्रिया श्रीनेत ने गोपाल खेमका से लेकर रामानंद यादव समेत कई हत्याकांडों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि, एनसीबी के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। यूपी के बाद बिहार में सबसे ज्यादा हत्या की वारदाद, दलित उत्पीड़न के मामले में बिहार दूसरे नंबर पर है और केवल दो चार शूटर को पकड़कर नीतीश सरकार अपनी पीठ थपथपाने में लगी है।

सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि, कोई दिन ऐसा नहीं बीतता, जब बिहार के अखबारों में बच्ची के रेप, हत्या और छोटे बच्चों के साथ कुकर्म की घटनाएं सामने नहीं आती। बिहार में अपराध के मामलों में साल 2005-2022 के बीच 323% की वृद्धि हुई है।

⦁ हत्या के मामले में बिहार राज्य देश में यूपी के बाद दूसरे नंबर पर है
⦁ हत्या की कोशिश के मामले में बिहार राज्य देश में दूसरे नंबर पर है
⦁ हत्या, रेप, अपहरण, फिरौती, डकैती के मामले 200% तक बढ़े हैं
⦁ बिहार में महिला अपराध में 336% की वृद्धि हुई है, करीब एक लाख 17 हजार मामले अदालतों में लंबित हैं
⦁ महिला अपहरण में 1000% की वृद्धि हुई है और करीब 62 हजार बच्चे कुकर्म-दुष्कर्म का शिकार हुए हैं
⦁ दलित उत्पीड़न के मामले में बिहार देश में दूसरे नंबर पर है

ये आंकड़े दिखाते हैं कि बिहार में बच्चे, कारोबारी, महिलाएं, दलित, पिछड़े और आदिवासी सुरक्षित ही नहीं है। यहां सुरक्षित सिर्फ अपराधी हैं, जिन्हें सरकार का संरक्षण प्राप्त है। राज्य के हर जिले में महिलाएं असुरक्षित हैं। जगह-जगह गैंगवार हो रहे हैं और #JDU – #BJP सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। देश की आजादी को 7 दशक से ज्यादा हो गया है, लेकिन आज भी बिहार में दिनदहाड़े हत्याओं का सिलसिला जारी है।

बिहार में अपराध की कुछ घटनाएं

⦁बालू के कारोबारी रमाकांत यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई, उसके पहले उनके भाई की हत्या की गई थी
⦁मगध अस्पताल के मालिक व बड़े बिजनेसमैन गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या कर दी गई, उसके पहले उनके बेटे की हत्या की गई थी
⦁कारोबारी अंजनी सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई
⦁कारोबारी जरी अहमद की हत्या कर दी गई
⦁किराना व्यापारी विनय गुप्ता की हत्या कर दी गई
⦁कारोबारी रमेश चंद्रा की हत्या कर दी गई
⦁नामी ज्वैलर संजय अग्रवाल को गोलियों से भून दिया गया
⦁सुरभि अस्पताल की संचालिका की उनके चैंबर में हत्या कर दी गई
⦁कपड़ा कारोबारी विनोद मेहता की हत्या कर दी गई

उन्होंने कहा कि, पटना में ADG लॉ एंड ऑर्डर के सामने बदमाशों ने 8 राउड फायरिंग की, लेकिन बिहार सरकार ने एक शब्द नहीं बोला।

मंत्री जीवेश मिश्रा का भी मुद्दा उठाया

सुप्रिया श्रीनेत ने जीवेश मिश्रा का भी मुद्दा उठाया और कहा कि उन्हें मंत्री पद पर रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है, क्योंकि सार्वजनिक जीवन में रहने वाले व्यक्ति की जवाबदेही ज्यादा तय होनी चाहिए। जीवेश मिश्रा एक फार्मास्युटिकल कंपनी ऑल्टो हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड के निर्देशक थे। राजस्थान में ड्रग इंस्पेक्शन में पाया गया कि उनकी कंपनी की टैबलेट सिप्रोलीन-500 नकली है और वह गुणवत्ता पर खरी नहीं उतर पाई। इसी के चलते वो और उनकी कंपनी दोषी पाई गए।

उन्होंने बताया कि, इस मामले में जो धाराएं लगाई गई हैं, उनमें

⦁धारा 16 (1) बताती है कि अगर दूसरी सूची में गुणवत्ता ना पाई जाए, तो ड्रग नकली मानी जाएगी।

⦁धारा 17(A) बताती है कि नकली ड्रग वह है- जिसे किसी चर्चित ड्रग का नाम चुराकर/ वैसा बनाकर बिना मानक पर खरे उतरे- बेचा जाए।

⦁धारा 18 निर्माण और बिक्री पर रोक के बारे में बताती है, जिसमें कोई ऐसी दवा नहीं बेच सकता- जिसकी गुणवत्ता ठीक न हो, नकली हो या गलत ब्रांडिंग के साथ बेची जा रही हो।

⦁ इन धाराओं के तहत दोषी पाए जाने के बाद जीवेश मिश्रा एक साल से 3 साल के लिए जेल जा सकते थे, उनपर 20 हजार रुपए का जुर्माना लग सकता था।

⦁ इस मामले की अन्य धाराओं में जीवेश मिश्रा 3 महीने से एक साल के लिए जेल जा सकते थे और आर्थिक जुर्माना भी लग सकता था। यहां जानकारी छिपाने की अलग सजा है, जिसमें एक साल की जेल और 1 लाख रुपए तक का जुर्माना है।

लेकिन इस केस में क्या हुआ-अदालत ने नीतीश कुमार के मंत्री और नरेंद्र मोदी के चहेते जीवेश मिश्रा को जेल ना भेज कर- उनपर एक प्रोबेशन ऑफिसर लगा दिया, जो जीवेश मिश्रा की निगरानी करेगा।

इस मामले में कई सवाल हैं

⦁स्वास्थ्य मंत्रालय और ड्रग विभाग बताए कि नकली ड्रग पाए जाने के बाद क्या कदम उठाए गए- कितनी कंपनियां सील हुई, कितनी दवाई जब्त हुई, कितनी और दवाइयों की जांच हुई और यह मायाजाल कहां तक फैला है

⦁जीवेश मिश्रा पर जो प्रोबेशन ऑफिसर लगाया गया है, वह क्या काम करता है?

⦁अगर कोई आम व्यक्ति नकली दवाइयों के आरोप में पकड़ा जाता और वह दोषी सिद्ध होता तो क्या उसे ऐसे ही छोड़ दिया जाता?

⦁किसी की जान से व्यापार करना कहां तक उचित हैं, क्योंकि जीवेश मिश्रा मंत्री हैं तो क्या वह कानून से ऊपर हैं?

⦁जिन लोगों ने इस दवा का इस्तेमाल किया, जिनको नुकसान हुआ, संभवतः किसी की जान चली गई हो तो उसकी जवाबदेही कौन तय करेगा?

सत्ता काबिज लोगों ने उड़ाई लोकलाज की धज्जियां

सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि, बिहार में सत्ता में काबिज लोगों ने मर्यादा, नैतिकता और सार्वजनिक जीवन में लोकलाज की धज्जियां उड़ा दी हैं। बिहार सरकार में नगर विकास मंत्री जीवेश मिश्रा को नकली दवा सप्लाई करने के मामले में दोषी पाया गया है। एक जमाना था- जब किसी नेता पर आरोप लगता था तो वो तुरंत अपने पद से इस्तीफा दे देता था, क्योंकि सार्वजनिक जीवन में मर्यादा और नैतिकता होती है। लेकिन आज जीवेश मिश्रा बेधड़क, बेखौफ मंत्री बनकर घूम रहे हैं और उन्हें ‘डबल इंजन सरकार’ अपना समर्थन दे रही है। कोई शर्म नहीं है।

सरकार पर हमलावर है विपक्ष

गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से बिहार में अपराधियों का जमकर तांडव देखने को मिला है। खासकर राजधानी पटना जैसे शरह में भी अपराधी बेलगाम नजर आए. पटना में बीते कुछ दिनों में दिनदहाड़े गोली बारी, हत्या और दुष्कर्म जैसी वारदातों में बढ़ोतरी देखने को मिली है, जिसे लेकर विपक्ष लगातार नीतीश सरकार पर हमलावर है।

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