वीरेन्द्र गहवई, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए आदेश दिया है, कि डीपीएस रिसाली, शंकराचार्य विद्यालय सेक्टर-10, एवं डीएवी हुडको, माइलस्टोन से निष्कासित किए गए 74 विद्यार्थियों को शिक्षा के अधिकार (RTE) के तहत तत्काल विद्यालय में पुनः अध्ययन की अनुमति दी जाए. इस आदेश के साथ ही कोर्ट ने डीईओ के आदेश को निरस्त कर दिया है. हाईकोर्ट के फैसले से 74 बच्चों एवं उनके परिजनों को राहत मिली है.

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दरअसल, दुर्ग के जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा बीते 3 जुलाई 2025 को इन विद्यालयों को आदेश देते हुए शिक्षा के अधिकार अधिनियम RTE के अंतर्गत नामांकित विद्यार्थियों को विद्यालय से निष्कासित करने की कार्रवाई की गई. इस फैसले से बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया था और पालकों में गहरा आक्रोश था.

बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में सांसद विजय बघेल की पहल की, और पालकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता टीके झा एवं अधिवक्ता सौरभ चौबे के नेतृत्व में एक विशेष अधिवक्ता टीम गठित की गई, जिसने इस मामले में उच्च न्यायालय में पैरवी की.

मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शिक्षा का अधिकार संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार है तथा इसे किसी भी परिस्थिति में छीना नहीं जा सकता. न्यायालय ने विद्यार्थियों को वर्ष पर्यंत नियमित शिक्षा देने का निर्देश देते हुए जिला शिक्षा अधिकारी के निष्कासन आदेश को अस्थायी रूप से निरस्त कर दिया.