सत्यपाल राजपूत, रायपुर | छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य कर्मियों में भाजपा सरकार के लिए इन दिनों बेहद आक्रोश है. विधानसभा चुनाव में बनाए गए मोदी की गारंटी नाम के घोषणा पत्र में संविदा अनियमित संवर्ग के कर्मचारियों के समस्याओं का निराकरण करने की बात कही गई. लेकिन सरकार गठन के बाद आज तक कुछ नहीं किया गया. इसे लेकर अब स्वास्थ्य कर्मचारी बड़े आंदोलन की तैयारी में हैं, जिससे 16-17 जुलाई को प्रदेशभर के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होंगी.


बता दें, छत्तीसगढ़ में मेडिकल कॉलेज अस्पतालों से लेकर ग्राम स्तर पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के 16 हजार संविदा स्वास्थ्य कर्मी कार्यरत हैं जो अपनी मांगों को लेकर 16 और 17 जुलाई को आंदोलन पर रहेंगे. इसमें डॉक्टर ,नर्स,फार्मासिस्ट ,लैब व एक्सरे टेक्नीशियन ,ए एन एम सहित कार्यालयीन एवं अस्पतालों के सफाई और हाउस कीपिंग स्टाफ सम्मिलित हैं.
जिलेवार धरना के बाद करेंगे विधानसभा का घेराव
- 10 से 15 जुलाई तक कर्मचारी विरोधस्वरूप काली पट्टी पहनकर कार्य कर रहे हैं.
- 16 जुलाई को जिला मुख्यालयों में धरना और कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा जाएगा.
- 17 जुलाई को रायपुर में विधानसभा घेराव का आयोजन होगा.
स्वास्थ्य सेवाओं पर गहरा असर, आम जनता को झेलनी पड़ेगी परेशानी
हड़ताल के चलते प्रदेश में टीबी, कुष्ठ, मलेरिया नियंत्रण, टीकाकरण, नवजात शिशु देखभाल, पोषण पुनर्वास केंद्र, स्कूल-आंगनबाड़ी परीक्षण, व आयुष्मान केंद्रों की ओपीडी सेवाएं बुरी तरह प्रभावित होंगी. स्वास्थ्य मिशन के संविदा कर्मचारी प्रदेश के कुल स्वास्थ्य अमले का 35% हैं, जिससे स्पष्ट है कि इस हड़ताल का गंभीर असर ग्रामीण और शहरी स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ेगा.

गौरतलब है कि प्रदेश में कुल कार्यरत चिकित्सा स्टाफ का लगभग 35 प्रतिशत स्टाफ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा स्वास्थ्य कर्मी ही हैं. इनके आंदोलन पर जाने से समझा जा सकता है कि इतने बड़े अमले की वैकल्पिक व्यवस्था करना शासन प्रशासन के लिए बहुत टेढ़ी खीर होगी. साथ ही साथ जनता को भी 2 दिन परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.
छ.ग. प्रदेश एन एच एम कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अमित कुमार मिरी के अनुसार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन 20 वर्षों से जारी है. इसके माध्यम से शहरों से लेकर सुदूर ग्रामों तक में स्वास्थ्य सुविधाएं संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी प्रदान कर रहे हैं. सभी राष्ट्रीय कार्यक्रम के क्रियान्वयन के साथ -साथ ,केंद्र और राज्य की स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ भी आम जनता को उनके द्वारा दिया जाता है ,दुखद स्थिति यह है कि, आज पर्यंत इन कर्मचारियों के बेहतर सामाजिक आर्थिक सुरक्षा का प्रयास शासन- प्रशासन द्वारा नहीं किया गया.
पड़ोसी राज्यों जैसे मध्य प्रदेश, राजस्थान ,महाराष्ट्र में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में कार्यरत कर्मचारियों को बेहतर वेतन, अनुकंपा ,जॉब सुरक्षा ,पे स्केल नई पेंशन स्कीम, दुर्घटना बीमा, चिकित्सा परिचर्या जैसी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं लेकिन छत्तीसगढ़ में आज पर्यंत तक यह नहीं किया गया है.
तीन सरकारें आईं, पर कर्मचारियों की मांगें अनसुनी रहीं
प्रदेश महासचिव कौशलेश तिवारी के अनुसार 2017 में भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार के समय राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारियों ने आंदोलन किया था इसके बाद कांग्रेस की सरकार जिसने संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का वादा भी किया था उसके कार्यकाल के दौरान भी 2020 में आंदोलन हुआ उसमें भी सरकार ने कुछ नहीं किया और अब एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी की सरकार मोदी की गारंटी के माध्यम से छत्तीसगढ़ की सत्ता पर काबिज है. मतलब पिछले कई वर्षों में तीसरी सरकार आ गई कर्मचारियों की स्थिति जस की तस बनी हुई है. वर्तमान सरकार के कार्यकाल में ही वर्ष 2024 के जुलाई माह में ध्यान आकर्षण प्रदर्शन किया गया था ऐसे ही इस वर्ष 2025 में 1 मई मजदूर दिवस पर भी प्रदर्शन हुआ था और उच्च स्तर पर एक माह के भीतर निराकरण की बात कही गई थी जो कि नहीं किया गया.
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और संरक्षक हेमंत सिन्हा कहते हैं कि,यह बात समझ से परे है कि, कोरोना योद्धा का दर्जा प्राप्त और महामारी में अपनी जान जोख़िम में डाल जनता को बचाने वाले इन कर्मचारियों के मामले पर आखिर सरकार और उसका प्रशासन किसी प्रकार का गतिरोध बनाकर क्या हासिल करना चाहता है.
एक सरकार की जिम्मेदारी होती है कि, वह अपने कर्मचारियों को बेहतर वेतन के साथ-साथ सामाजिक आर्थिक सुरक्षा भी प्रदान करे ,किंतु छत्तीसगढ़ के एनएचएम कर्मचारी आज तक इससे वंचित हैं. वर्तमान सरकार के कार्यकाल में अब तक सौ से अधिक बार ज्ञापन मंत्रियों, विधायकों ,सांसदों को दिए जा चुके हैं. उच्च प्रशासनिक अधिकारियों से भेंट मुलाकात कर भी निवेदन किया जा चुका है बार-बार आवेदन निवेदन के पश्चात भी काम न बनने के कारण एक बार फिर प्रदेश के 16 हज़ार एन एच एम संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी दो दिवसीय आंदोलन पर जाने को विवश हो गए.इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष ने छत्तीसगढ़ की जनता से खेद भी जताया है और कहा है कि, इन सबका जिम्मेदार राज्य का शासन प्रशासन है
इस वर्ष जुलाई का यह प्रदर्शन 10 तारीख से सिलसिलेवार ढंग से 17 तारीख तक जारी रहेगा जिसमें 10 तारीख को स्थानीय विधायकों को विज्ञापन दिया गया 11 तारीख को भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्षों को ज्ञापन दिया गया. 12 तारीख से 15 तारीख तक काली पट्टी लगाकर कार्यालय में काम किया जा रहा है एवं 16 जुलाई को जिला स्तर पर धरना प्रदर्शन कर कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम से ज्ञापन सौंपा जाएगा. 17 जुलाई को प्रदेश स्तर का विधानसभा घेराव का कार्यक्रम राजधानी रायपुर के धरना स्थल पर होगा
यदि इन सबके पश्चात भी शासन- प्रशासन मूकदर्शक बना रहा और मांगों पर किसी प्रकार की कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई तो अब छत्तीसगढ़ के एन एच एम संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी किसी बड़े अनिश्चितकालीन आंदोलन पर जाने पर विवश हो जाएंगे जिसके लिए राज्य सरकार ही जिम्मेदार होगी.
आंदोलन के लिए जनता से खेद, सरकार को ठहराया जिम्मेदार
प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मिरी ने जनता से असुविधा के लिए खेद जताते हुए, इसके लिए राज्य शासन और प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि अब भी मांगें नहीं मानी गईं, तो एनएचएम कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को विवश होंगे.
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