महाराष्ट्र में छिड़े भाषा विवाद के बीच ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का एक और बयान सामने आया है. मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि ‘हमें मराठी ना जनने का अफसोस होता है. हमारी इच्छा है कि यहां से जाने तक हम मराठी में प्रश्न सुन सकें और मराठी मीडिया को मराठी में ही जवाब दे सकें’.
महराज जी ने कहा कि ‘हम अक्सर महाराष्ट्र आते हैं, मुंबई जाते हैं, जहां हर कोई हिंदी समझता है. लेकिन जब हम ग्रामीण इलाकों में जाते हैं, तो वहां के लोग हिंदी नहीं समझते, वे केवल मराठी बोलते हैं. वे हमसे संवाद करने की कोशिश करते हैं और उस समय हमें मराठी न जानने का अफसोस होता है, क्योंकि अगर हमें आती, तो हम उन्हें उनकी अपनी भाषा में समझा सकते थे.’
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उन्होंने कहा कि ‘अब, उम्मीद है कि महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में हमें जो अफ़सोस होता था, वह खत्म हो जाएगा और हम आखिरकार उन ग्रामीणों से उनकी अपनी भाषा में प्यार से बात कर पाएंगे.’
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