रायपुर। भारत में प्री मानसून बारिश में इस बार 22 फीसदी की कमी आई है.देश के कई हिस्सों में कृषि के लिए महत्वपूर्ण समय मार्च से मई महीने तक मॉनसून से पहले की बारिश में 22 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. मौसम विभाग के आंकड़ों से यह पता चला है। मौसम विभाग ने एक मार्च से 15 मई तक 75.9 मिलीमीटर बारिश दर्ज की, जो कि सामान्य से करीब 22 प्रतिशत कम है. इस अवधि में सामान्य बारिश 96. 8 मिमी होती है.
मॉनसून से पहले की बारिश देश के कुछ हिस्सों में बागवानी फसलों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। ओडिशा जैसे राज्यों में मॉनसून पूर्व मौसम में खेतों की जुताई की जाती है, जबकि देश के पूर्वोत्तर हिस्से और पश्चिमी घाट में फसल रोपण के लिए यह महत्वपूर्ण समय होता है. मौसम विभाग ने एक मार्च से 24 अप्रैल तक बारिश में 27 प्रतिशत तक कमी दर्ज की.
मौसम विभाग ने कहा कि दक्षिणपूर्व मॉनसून दक्षिण अंडमान सागर में आगे बढ़ गया है और इसके अगले दो – तीन दिनों में उत्तर अंडमान सागर और अंडमान सागर पहुंचने की अनुकूल दशाएं हैं. मौसम विभाग के चार मौसमी संभागों में दक्षिणी प्रायद्वीप (जिसमें सभी दक्षिणी राज्य आते हैं) में मॉनसून पूर्व बारिश में 46 प्रतिशत की कमी आई है जो कि देश में सबसे अधिक है.
मध्य भारत में पर्याप्त बारिश..
मध्य क्षेत्र के राज्यों महाराष्ट्र, गोवा, छत्तीसगढ़, गुजरात और मध्य प्रदेश में मानसून पूर्व की बारिश में कोई कमी नहीं आई है. हालांकि 1 मार्च से 24 अप्रैल के दौरान सामान्य से पांच फीसदी कम बारिश हुई। इस क्षेत्र में हालांकि इस दौरान भीषण गर्मी पड़ी और महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के बांधों का जल संचय स्तर शून्य पर पहुंच गया.
मध्य भारत में गन्ना, कपास जैसी फसलों को बचाए रखने के लिए मानसून से पहले की बारिश काफी अहम होती है. हिमालयी क्षेत्रों में सेब जैसे फलों के लिए भी यह बारिश जरूरी है. नमी के कारण मानसून पूर्व की बारिश जंगल में आग लगने की घटना में कमी लाने में भी मददगार होती है.