Mouth Breathing In Children: छोटे बच्चों की आदतों पर ध्यान देना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि उनकी छोटी-छोटी समस्याएं भी भविष्य में बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती हैं. और उन्हीं आदतों में से एक है बच्चे के मुंह खोलकर सोने की आदत. पर क्या आप जानते हैं की बच्चे ऐसे क्यों सोते हैं, इससे क्या नुकसान हो सकता है और इस आदत को कैसे छुड़ाएं. आज हम आपको इसी के बारे में विस्तार से बताएंगे.

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Mouth Breathing In Children

Mouth Breathing In Children: बच्चों के मुंह खोलकर सोने की आदत हो सकती है गंभीर बीमारी का संकेत, जानें कारण और समाधान

नाक बंद होना: एलर्जी, सर्दी, या टॉन्सिल्स की सूजन के कारण बच्चा नाक से सांस नहीं ले पाता, इसलिए मुंह से सांस लेता है.

एडेनॉइड्स और टॉन्सिल्स का बढ़ जाना: ये गले और नाक के रास्ते को ब्लॉक कर देते हैं, जिससे बच्चा मुंह से सांस लेने पर मजबूर हो जाता है.

नाक की संरचना में दोष: अगर बच्चे की नाक की हड्डी टेढ़ी है, तो वह नाक से सांस लेने में दिक्कत महसूस करता है.

आदत बन जाना: कुछ बच्चे शुरुआत में किसी मेडिकल कारण से मुंह खोलकर सोते हैं, लेकिन बाद में यह उनकी आदत बन जाती है.

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मुंह खोलकर सोने से होने वाले नुकसान (Mouth Breathing In Children)

चेहरे की हड्डियों और जबड़े के विकास में गड़बड़ी: लंबे समय तक मुंह से सांस लेने से चेहरे की संरचना में बदलाव आ सकता है.

दांतों की समस्या: मुंह सूखा रहने से दांतों में कैविटी और अन्य समस्याएं हो सकती हैं.

नींद की गुणवत्ता में कमी: मुंह से सांस लेने पर गहरी और आरामदायक नींद नहीं आती, जिससे बच्चा थका-थका महसूस करता है.

व्यवहार और पढ़ाई पर असर: नींद पूरी न होने से बच्चा चिड़चिड़ा हो सकता है और उसका ध्यान पढ़ाई में नहीं लगता.

सांस की दिक्कतें: कुछ मामलों में यह समस्या सोते समय सांस रुकने (sleep apnea) जैसी गंभीर बीमारी में बदल सकती है.

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बच्चे की ये आदत छुड़ाने के उपाय (Mouth Breathing In Children)

ENT स्पेशलिस्ट से जांच कराएं: यह सबसे पहला कदम होना चाहिए ताकि पता चले कि नाक या गले में कोई रुकावट तो नहीं है.

नाक साफ रखें: अगर नाक में जकड़न है तो भाप दें या डॉक्टर की सलाह से नेजल ड्रॉप्स का इस्तेमाल करें.

सोने का सही पोजिशन: बच्चा पीठ के बल सोने के बजाय करवट लेकर सोए तो फायदा हो सकता है.

मुंह बंद रखने के लिए अभ्यास कराएं: दिन में खेल-खेल में बच्चे को मुंह बंद रखकर सांस लेने की आदत सिखाएं.

एलर्जी की पहचान और इलाज: धूल, धुएं या किसी खाने की चीज से एलर्जी हो सकती है, जिसे पहचानकर बचाव करना चाहिए.

नियमित मॉनिटरिंग: बच्चा किस पोजिशन में सोता है, नींद के दौरान कैसा व्यवहार करता है — इस पर ध्यान दें.

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