प्रमोद निर्मल, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी। भर्रीटोला स्थित फ्लावर वैली इंग्लिश मीडियम स्कूल की मनमानी पर अब आखिरकार शिक्षा विभाग की नजर गई है। पिछले कई हफ्तों से आदिवासी व ग्रामीण पालकों की लगातार शिकायतों और मीडिया रिपोर्ट्स के बाद मानपुर के विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने स्कूल प्रबंधन को सख्त चेतावनी देते हुए स्थानांतरण प्रमाण पत्र (टीसी) देने का स्पष्ट आदेश जारी कर दिया है।

क्या है मामला? शिक्षा को व्यापार बनाने का आरोप

भर्रीटोला गांव में संचालित फ्लावर वैली स्कूल पर आरोप है कि वह RTE (शिक्षा का अधिकार कानून) के तहत भर्ती बच्चों से भी फीस, यूनिफॉर्म और किताबों के नाम पर पैसे वसूल रहा है। वहीं जब पालक निजी कारणों या शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर बच्चों को किसी अन्य स्कूल में भेजना चाहते हैं, तो उन्हें टीसी नहीं दी जा रही।

ग्राम घोटिया, सहपाल व मानपुर जैसे क्षेत्रों के पालकों ने बताया कि बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिला दिलाने के लिए वे टीसी मांगते हैं, लेकिन स्कूल प्रबंधन टालमटोल करता है। इससे बच्चों का शैक्षणिक भविष्य अधर में लटक गया है। एक बच्ची को तीसरी कक्षा में पढ़ना था लेकिन टीसी न मिलने के कारण वह पहली कक्षा से दोबारा सरकारी स्कूल में पढ़ाई शुरू करने को मजबूर हुई।

बिना एडमिशन दो साल से पढ़ाई! फर्जीवाड़े की जड़ें गहरी

मानपुर में भी फ्लावर वैली का एक शाखा स्कूल संचालित है, जहां के प्रियांशु और प्रियंका चौधरी नामक दो बच्चे पिछले दो साल से बिना टीसी और बिना विधिवत एडमिशन केवल पालकों की सहमति पर पढ़ाई कर रहे हैं। चूंकि फ्लावर वैली प्रबंधन ने ऑनलाइन टीसी (UDISE पोर्टल) पर अपडेट नहीं किया, इसलिए बच्चों का नाम नए स्कूल में नहीं जुड़ पा रहा है। इसी तरह ग्राम सहपाल का हरिवंश जाड़े नामक छात्र भी संदीपनी स्कूल में पढ़ रहा है लेकिन फ्लावर वैली से टीसी नहीं मिलने के कारण उसका भी नाम UDISE में अपडेट नहीं हो पाया। ये छात्र RTE के तहत पहले फ्लावर वैली में पढ़ रहा था।

इन घटनाओं से स्पष्ट होता है कि स्कूल जानबूझकर छात्रों को अपने रिकॉर्ड में बनाए रख रहा है, ताकि वह सरकारी RTE फंड प्राप्त करता रहे, भले ही बच्चा स्कूल में पढ़ ही न रहा हो।

बीईओ का नोटिस: तीन दिन में टीसी दो, वरना कार्रवाई

इस मामले में लल्लूराम डॉट की पड़ताल के बाद बीईओ ने फ्लावर वैली स्कूल प्रबंधन को नोटिस जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि “पालकों द्वारा स्थानांतरण प्रमाण पत्र मांग किये जाने पर आपके द्वारा स्थानांतरण प्रमाण पत्र प्रदान नहीं किया जाता है जो कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के विपरीत है। अतः आप पालकों/विद्यार्थियों को टीसी तत्काल प्रदान करें, अन्यथा आपके संस्था के विरुद्ध उच्च कार्यालय को रिपोर्ट की जाएगी जिसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे।”

इस ज्ञापन की प्रति जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) को भी भेजी गई है, जिससे साफ है कि अब मामला जिला स्तर तक पहुंच चुका है।

प्रशासनिक सुस्ती पर उठे सवाल, शिक्षा समिति अध्यक्ष ने भी जताई नाराजगी

गौरतलब है कि जनपद उपाध्यक्ष एवं शिक्षा समिति अध्यक्ष देवानंद कौशिक ने भी इस पूरे मामले को जनपद पंचायत की बैठक में उठाया था और बीईओ से तीन दिन में रिपोर्ट मांगी थी। लेकिन अब तक न रिपोर्ट मिली, न कोई ठोस कार्रवाई हुई थी। मीडिया के हस्तक्षेप और जनप्रतिनिधियों की सक्रियता के बाद ही बीईओ कार्यालय हरकत में आया।

बस फिटनेस से लेकर फंड तक सवालों के घेरे में फ्लावर वैली

लल्लूराम डॉट कॉम की विस्तृत पड़ताल में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जो इस प्रकरण की गंभीरता को और अधिक उजागर करते हैं।

  • बस फिटनेस से लेकर फंड तक, फ्लावर वैली सवालों के घेरे में है।
  • स्कूल द्वारा उपयोग की जा रही बसों की फिटनेस रिपोर्ट संदिग्ध बताई जा रही है, जिससे बच्चों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा होता है।
  • RTE के तहत पढ़ने वाले छात्रों से भी फीस, यूनिफॉर्म और किताबों के लिए पैसे वसूले जाने की पुष्टि पालकों ने की है, जो सीधे तौर पर शिक्षा का अधिकार कानून का उल्लंघन है।
  • UDISE पोर्टल में फर्जीवाड़े की आशंका गहराई है, क्योंकि कई ऐसे बच्चे जो फ्लावर वैली में अब नहीं पढ़ते, उनके नाम अब भी स्कूल के पोर्टल पर दर्ज हैं। जिससे आशंका है कि सरकारी फंड हड़पने का प्रयास किया गया।

क्या कहते हैं जानकार?

शिक्षाविदों का मानना है कि यदि बच्चों के नाम गलत तरीके से स्कूल के UDISE पोर्टल में बनाए रखे जा रहे हैं तो यह न केवल RTE एक्ट की धारा 17 का उल्लंघन है बल्कि फंड की हेराफेरी और सरकारी पैसे का दुरुपयोग भी है, जो गंभीर आपराधिक मामला बन सकता है।

अब आगे क्या?

फ्लावर वैली प्रबंधन के पास अब ज्यादा समय नहीं है। यदि स्कूल प्रबंधन अब भी टीसी नहीं देता, तो बीईओ को उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट भेजनी होगी, जिससे स्कूल की मान्यता रद्द होने की नौबत भी आ सकती है। जरूरत है कि जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग मिलकर पूरे मामले की जांच समिति गठित करे और दोषियों पर कठोर कार्रवाई करे।

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