Chhattisgarh Crime News:  प्रतीक चौहान. रायपुर: रायपुर में स्मार्ट मीटर लगाने के नाम पर एक एनजीओ सचिव से 10 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आया है. जगदलपुर निवासी डॉ. महेश मिश्रा ने थाना कोतवाली, जिला बस्तर में लोकेश ठाकुर के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई है. मामला रायपुर के कलेक्ट्रेट कोर्ट परिसर से जुड़ा होने के कारण इसे थाना सिविल लाइंस, रायपुर में असल नंबरी अपराध के तहत दर्ज कर विवेचना शुरू की गई है.

डॉ. महेश मिश्रा, जो लालबाग, भगत सिंह स्कूल के पास, जगदलपुर में रहते हैं और आकार फाउंडेशन नामक एनजीओ में सचिव हैं, ने बताया कि अगस्त 2024 में उनके परिचित देवकृष्ण पानीग्राही ने उन्हें स्मार्ट मीटर लगाने के काम की जानकारी दी. यह काम जीनस कंपनी द्वारा किया जा रहा था. दोनों ने जगदलपुर में जीनस कंपनी के ऑफिस में पूछताछ की, जहां कई औपचारिकताएं पूरी करने की बात सामने आई. बाद में उन्हें लोकेश ठाकुर नामक व्यक्ति के बारे में पता चला, जो जीनस कंपनी का ठेकेदार होने का दावा करता था.

30 सितंबर 2024 को डॉ. मिश्रा और पानीग्राही रायपुर में लोकेश ठाकुर से मिलने गए. लोकेश ने उन्हें अपने ऑफिस, बालाजी इंटरप्राइजेज, बैजनाथ पारा, रायपुर में बुलाया. वहां काम के लिए एग्रीमेंट की बात हुई और तीन चेक मांगे गए. लोकेश ने दावा किया कि वह कंपनी का डायरेक्टर है और एक एग्रीमेंट का कागज दिखाया. विश्वास में आकर डॉ. मिश्रा ने लोकेश के नाम पर 2 लाख रुपये का चेक और कंपनी के नाम पर दो ब्लैंक चेक दिए. इसके बाद लोकेश ने ऑफिशियल एग्रीमेंट के लिए अतिरिक्त खर्च की मांग की. रायपुर कलेक्ट्रेट के कोर्ट परिसर में 100 रुपये के स्टांप पेपर पर एग्रीमेंट किया गया और अनौपचारिक रूप से 4 लाख रुपये नकद लोकेश को दिए गए. वादों के बाद भी काम शुरू नहीं हुआ.

लोकेश ने दशहरा के बाद काम शुरू करने का वादा किया, लेकिन दीपावली तक टालमटोल करता रहा. इस बीच, डॉ. मिश्रा और पानीग्राही ने इलेक्ट्रिशियन की टीम तैयार करने और सर्वे कार्य में 1.4 लाख रुपये खर्च किए. लोकेश ने दो लोगों को बिलासपुर भेजकर काम सीखने की बात कही, लेकिन वहां भी कोई ठोस प्रगति नहीं हुई. बाद में लोकेश ने जगदलपुर आने का वादा कर सर्किट हाउस में मुलाकात की और 4 लाख रुपये और लिए. इसके बाद वह लगातार टालमटोल करता रहा और अंततः फोन उठाना बंद कर दिया.

ऑफिस बंद, ठगी का खुलासा

डॉ. मिश्रा और पानीग्राही ने जब लोकेश के ऑफिस का दौरा किया, तो वह ताला बंद मिला. लोकेश ने कुल 10 लाख रुपये लेने के बाद न तो काम दिया और न ही पैसे लौटाए. शिकायतकर्ता ने इसे धोखाधड़ी करार देते हुए लोकेश ठाकुर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.