World Emoji Day 2025: छोटी सी इमेज से भावनाओं को पूर्णतः अभिव्यक्त करने का सबसे आसान तरीका है इमोजी. इस पूरी दुनिया अपनी अभिव्यक्ति को अभिव्यक्त करने इसका सहारा ले रही है. आज यानी 17 जुलाई को पूरी दुनिया वर्ल्ड इमोजी-डे मना रही है. इन छोटे-छोटे चेहरों, इशारों, प्रतीकों और चित्रों ने संचार की दुनिया में एक क्रांति ला दी है.

डिजिटल दुनिया में इमोजी अब सिर्फ ‘फन’ का साधन नहीं, बल्कि भावनाओं के आदान-प्रदान की सबसे सशक्त वैश्विक भाषा बन चुकी है. वर्ल्ड इमोजी-डे की शुरुआत 2014 में लंदन के जेरेमी बर्ज ने की. वे जो इमोजिपीडिया के संस्थापक हैं. इमोजिपीडिया एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जहां इमोजी के अर्थ, इतिहास और नई रिलीज की जानकारी दी जाती है. दिलचस्प बात यह है कि 17 जुलाई की तारीख इसलिए चुनी गई क्योंकि एप्पल के कैलेंडर इमोजी पर यही तारीख दिखती थी. एप्पल हर साल वर्ल्ड इमोजी-डे के मौके पर नई इमोजी रिलीज करने का ऐलान करता है. गूगल भी अपने एंड्रॉयड इमोजी अपडेट इसी समय घोषित करता है.

सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले इमोजी

दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला इमोजी ‘फेस विथ टीयर्स ऑफ जॉय’ है. यूनिकोड कंसोर्टियम और ट्विटर एनालिटिक्स के अनुसार, यह इमोजी लगातार कई सालों से टॉप पर बना हुआ है. यह इमोजी लोगों की हंसी, खुशी और मजाक को व्यक्त करने का सबसे आसान जरिया है. दूसरे पायदान पर जो प्यार, दोस्ती और शुभकामनाओं के लिए सबसे पॉपुलर है. इसके बाद (थम्ब्स अप), (रोलिंग ऑन द फ्लोर लाफिंग), और (फेस ब्लोइंग, किस) जैसे इमोजी आते हैं.

छत्तीसगढ़ी में नहीं है कोई इमोजी

युनिकोड इमोजी आमतौर पर ग्लोबल लेवल पर इस्तेमाल और डिमांड को देखकर बनाए जाते हैं. छत्तीसगढ़ी बोलने वालों की संख्या काफी बड़ी (करीब 2-3 करोड़) है, लेकिन इंटरनेशनल डिजिटल स्पेस में इसका उतना प्रतिनिधित्व अभी नहीं है जितना हिंदी, तमिल या बांग्ला का दिखता है. इमोजी के लिए नए प्रस्ताव भेजने का प्रोसेस यूनिकोड कंसोर्टियम के जरिए होता है. इसमें छत्तीसगढ़ से या भारत सरकार की तरफ से फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं गया है. हालांकि, छत्तीसगढ़ के लोग और यहां के कंटेंट क्रिएटर्स इमोजी का स्थानीय उपयोग अपनी तरह से कर रहे हैं.

डिजिटल स्टिकर में छत्तीसगढ़ी रंग

छत्तीसगढ़ी डिजिटल कम्युनिकेशन में अभी सबसे ज्यादा रंग भर रहे हैं, वाट्सऐप स्टिकर और जीआईएफ. कई लोकल डिजाइनर छत्तीसगढ़ी भाषा, त्योहारों, गालियों, ह्यूमर पर आधारित स्टिकर पैक बना चुके हैं.

‘बढ़िया हवस का?’

‘छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया’

तीजा, हरेली, छेरछेरा जैसे लोक पाँ के स्टिकर

लेकिन ये भी यूनिकोड इमोजी नहीं, बल्कि थर्ड पार्टी स्टिकर पैक होते हैं.

जापानी डिजाइनर शिगेताका ने 1999 में बनाया पहला इमोजी

इमोजी का जन्म जापान में हुआ. 1999 में जापानी डिजाइनर शिगेताका कुरिता ने मोबाइल कम्युनिकेशन के लिए 176 छोटे-छोटे पिक्टोग्राम बनाए, जिन्हें आज के इमोजी का जनक माना जाता है. उनका उद्देश्य था-बिना शब्दों के भावनाएं और जानकारी को तेजी से व्यक्त करना. धीरे-धीरे यह कांसेप्ट इतना लोकप्रिय हुआ कि 2010 में यूनिकोड कंसोर्टियम ने इमोजी को आधिकारिक तौर पर अपने मानक में शामिल कर लिया. इसके बाद तो टेक कंपनियां जैसे एपल, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक, वाट्सऐप आदि ने इमोजी को अपने प्लेटफॉर्म्स पर इंटीग्रेट किया और इमोजी का ग्लोबल ट्रेंड शुरू हो गया.

इमोजी की वर्तमान स्थिति और नई पहल

वर्तमान में इमोजी सिर्फ मनोरंजन या अभिव्यक्ति का साधन नहीं, बल्कि इन्क्लूजन और डाइवर्सिटी का प्रतीक बन रहे हैं. यूनिकोड कंसोर्टियम हर साल नई इमोजी शामिल करता है, जिनमें अलग-अलग स्किन टोन, जेंडर न्यूट्रल इमोजी, विकलांग व्यक्तियों के लिए इमोजी, धार्मिक प्रतीक, सांस्कृतिक विविधता को दशनि वाले प्रतीक शामिल होते हैं. हाल ही में इमोजी 16.0 के लिए नए इमोजी प्रस्तावित हुए हैं, जैसे-लाइम, फिंगर हार्ट, फेस विद पाउडर ब्लश आदि.