SI Paper Leak Case: राजस्थान में SI पेपर लीक केस की सुनवाई लगातार हाईकोर्ट में जारी है। ताजा सुनवाई 17 जुलाई को जस्टिस समीर जैन की एकल पीठ में हुई, जिसमें कई अहम सवाल उठाए गए खासकर SOG की भूमिका और सरकारी प्रेस बनाम निजी प्रेस को लेकर।

सरकार चाहती थी मीडिया चुप रहे, कोर्ट ने कहा- नहीं
सरकार ने इस मामले की मीडिया कवरेज पर आपत्ति जताते हुए कोर्ट से रिपोर्टिंग पर रोक की मांग की थी। लेकिन हाईकोर्ट ने यह मांग ठुकरा दी। कोर्ट ने साफ कहा ये मामला जनहित से जुड़ा है, इसलिए मीडिया को रोका नहीं जा सकता।
SOG की भूमिका पर कोर्ट का सीधा सवाल
कोर्ट ने SOG (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए। पहले SOG ने कहा था कि वह भर्ती में सही-गलत की पहचान नहीं कर सकती। अब वही एजेंसी कह रही है कि दोषियों को चिन्हित कर सकती है। कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या SI भर्ती रद्द करने की सिफारिश सरकार की मंजूरी के बिना की गई?
सिर्फ 50 फेल, फिर पूरी भर्ती रद्द क्यों?
वरिष्ठ अधिवक्ता ए.के. शर्मा ने दलील दी कि 19 मार्च 2024 को SOG ने अचानक ट्रेनी SI का टेस्ट लिया था, जिसमें सिर्फ 50 अभ्यर्थी फेल हुए। सवाल उठता है अगर इतने कम लोग फेल हुए, तो पूरी भर्ती प्रक्रिया रद्द करना क्या वाजिब है?
पेपर की प्रिंटिंग भी जांच के घेरे में
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह जानना चाहा कि SI परीक्षा का पेपर सरकारी प्रेस में छपा था या निजी में। इस पर RPSC की ओर से वकील मिर्जा फैज़ल बेग ने बताया कि पेपर एक निजी प्रेस में छपवाया गया था, जिसे विश्वसनीय और प्रतिष्ठित बताया गया।
अब इस मामले की अगली सुनवाई मंगलवार, 22 जुलाई को होगी। सभी निगाहें इस पर टिकी हैं कि कोर्ट अगली बार क्या रुख अपनाता है और क्या सरकार या SOG कोई नया जवाब लेकर आती है।
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