VIP Industries Stake Sale: भारत की सबसे बड़ी लगेज निर्माता कंपनी VIP इंडस्ट्रीज़ में एक बड़ा उलटफेर हुआ है. कंपनी के चेयरमैन दिलीप पिरामल ने अपनी 32% हिस्सेदारी बेच दी है, लेकिन इसके पीछे की वजह सिर्फ एक डील नहीं, बल्कि एक पारिवारिक फैसला है, जो कंपनी के भविष्य को पूरी तरह बदल सकता है.

इस डील के तहत पिरामल ने करीब 1,763 करोड़ रुपये में VIP का बड़ा हिस्सा मल्टीपल्स प्राइवेट इक्विटी, आकाश भंसाली और कैरटलेन के फाउंडर मिथुन सचेटी को बेच दिया है. इससे उनकी हिस्सेदारी 51.73% से घटकर 19.73% रह गई है.

लेकिन सवाल यह है—देश की सबसे भरोसेमंद सूटकेस कंपनी छोड़ने की ज़रूरत क्यों पड़ी?
दिलीप पिरामल ने खुद कहा है—”मैंने 53 साल तक VIP इंडस्ट्रीज़ को बनाया, लेकिन मेरी बेटियां (राधिका, अपर्णा और प्रियदर्शिनी) इस बिज़नेस को आगे नहीं ले जाना चाहतीं. अगली पीढ़ी की रुचि नहीं है.”

यही नहीं, बीते कुछ सालों में कंपनी की स्थिति भी बदली है. VIP की बाजार हिस्सेदारी, जो कभी 50% थी, घटकर 38% रह गई है. लगातार चार तिमाहियों में घाटा और मैनेजमेंट से जुड़ी चुनौतियों ने कंपनी को कमजोर किया है. शेयर वैल्यू भी 10,000 करोड़ से घटकर 6,800 करोड़ रुपये रह गई है.

अब नए हाथों में जाएगी VIP की कमान

मल्टीपल्स ग्रुप ने SEBI के नियमों के तहत 1,438 करोड़ रुपये का ओपन ऑफर भी दिया है, जिससे वे अपनी कुल हिस्सेदारी और बढ़ा सकते हैं.

क्या दोबारा चमकेगा VIP ब्रांड?

कंपनी की विरासत और ब्रांड वैल्यू आज भी मजबूत है. स्काईबैग्स, कार्लटन, कैप्रिस जैसे ब्रांड्स VIP के पास हैं और इसकी मौजूदगी 45 देशों में है. दिलीप पिरामल का मानना है कि नया मैनेजमेंट इसे फिर से ऊंचाई तक ले जाएगा.

दिलीप पिरामल बोर्ड से हटेंगे, लेकिन एक सदस्य रहेगा

हालांकि पिरामल खुद बोर्ड से हटेंगे, लेकिन उनका परिवार अब भी कंपनी में एक सदस्य के रूप में शेयरहोल्डर बना रहेगा.