Rajasthan News: राजस्थान के भीलवाड़ा से देशभर में फैले एक संगठित फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है. आयकर विभाग ने दो छोटे राजनीतिक दलों भारतीय सामाजिक पार्टी और युवा भारत आत्मनिर्भर दल पर छापेमारी के बाद 300 करोड़ रुपये से ज्यादा के फर्जी राजनीतिक चंदे और संदिग्ध वित्तीय लेन-देन के प्रमाण जुटाए हैं.

किस तरह चलता था यह खेल?

सूत्रों के मुताबिक, कंपनियों को टैक्स बचाने के लिए इन राजनीतिक दलों के जरिए दान करने का ‘रास्ता’ दिखाया गया. कंपनियों ने इन पार्टियों को RTGS, NEFT और IMPS जैसे माध्यमों से चंदा दिया. लेकिन कुछ ही दिनों बाद उन्हीं कंपनियों को 3% से 6% कमीशन काटकर रकम वापस लौटा दी जाती थी या तो नकद में या सीधे ट्रांसफर के जरिए.

इन लेन-देन के लिए राजनीतिक दलों के खातों का खुलकर दुरुपयोग किया गया. रकम सीधे पार्टी प्रतिनिधियों के निजी खातों में जाती रही. ये सब कुछ बेहद व्यवस्थित तरीके से हो रहा था.

भीलवाड़ा बना था फर्जीवाड़े का केंद्र

जांच में सामने आया कि इन राजनीतिक दलों की सभी वित्तीय गतिविधियां राजस्थान के भीलवाड़ा से संचालित हो रही थीं. यहीं से पैसे ट्रांसफर किए जाते, निकासी होती और रिकॉर्ड मैनेजमेंट चलता. विभाग को कई स्थानीय एजेंट्स की भूमिका का भी पता चला है, जो कंपनियों को इस डोनेशन के बदले टैक्स छूट स्कीम से जोड़ते थे.

चेहरा मामूली, खेल करोड़ों का

  • भारतीय सामाजिक पार्टी का रजिस्टर्ड ऑफिस मध्य प्रदेश के अलीराजपुर में है. पार्टी अध्यक्ष एक किसान हैं, जिन्हें हर साल सिर्फ 5 लाख रुपये का कमीशन मिलता था.
  • ऑडिटिंग महज़ 15 हजार रुपये में मुंबई का एक CA कर रहा था, जिसने बिना दस्तावेज़ देखे रिपोर्ट पर साइन कर दिया.
  • युवा भारत आत्मनिर्भर दल का संचालन महाराष्ट्र के औरंगाबाद के एक कॉलेज परिसर से हो रहा था. अध्यक्ष एक बुजुर्ग व्यक्ति हैं और कोषाध्यक्ष उनकी बेटी, जो एक शिक्षिका हैं.

कागज़ी चंदा, असली टैक्स छूट

जांच में ये भी सामने आया कि इन दलों को पिछले तीन वर्षों में हजारों टैक्सपेयर नागरिकों ज्यादातर वेतनभोगी वर्ग से करोड़ों का चंदा मिला. उन्होंने धारा 80GGC के तहत टैक्स छूट का दावा किया, जबकि असल में ये ‘दान’ सिर्फ दिखावे के लिए था. अधिकांश पैसा दानदाताओं के परिजनों, HUFs या शेल कंपनियों को लौटा दिया गया.

सिर्फ दो नहीं, 20 और दल भी रडार पर

आयकर विभाग को ऐसे दस्तावेज़ भी मिले हैं जिनसे पता चलता है कि यह नेटवर्क कम से कम 20 अन्य राजनीतिक दलों के लिए भी इसी तरह के लेन-देन को अंजाम दे रहा था. यानी एक संगठित ‘पॉलिटिकल चंदा नेटवर्क’ का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें छोटे राजनीतिक दलों को फ्रंट बनाकर बड़ी टैक्स चोरी की जा रही थी. फिलहाल इन दोनों दलों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है. साथ ही संबंधित सीए, एजेंट्स और कंपनियों की भूमिका की जांच भी शुरू हो चुकी है.

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