दिल्ली हाईकोर्ट(Delhi HighCourt) ने सरकारी वकीलों की कमी के कारण मुकदमों की सुनवाई में हो रही देरी को गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार(Delhi Government) को निर्देश दिया है कि वह नियमित भर्ती प्रक्रिया लंबित रहने के दौरान आपराधिक मामलों की सुनवाई को सुचारु बनाने के लिए अतिरिक्त लोक अभियोजकों और सहायक लोक अभियोजकों की एडहॉक नियुक्तियां करे.
चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस अनीश दयाल की बेंच ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वह चार सप्ताह के भीतर सरकारी वकीलों की नियुक्ति की प्रक्रिया को पूरा करे. अदालत ने यह भी कहा कि यदि नियमित नियुक्तियों में कोई देरी हो रही है, तो अस्थायी नियुक्तियों का सहारा लिया जाए ताकि आपराधिक मामलों की सुनवाई पर कोई असर न पड़े. बेंच ने यह स्पष्ट किया कि लोक अभियोजकों की कमी लंबित मामलों का एक प्रमुख कारण है, इसलिए अतिरिक्त और सहायक लोक अभियोजकों की नियुक्ति आवश्यक है.
बेंच ने यह निर्देश दिया है कि प्रत्येक अदालत में एक स्थायी लोक अभियोजक की नियुक्ति की जानी चाहिए. इसका उद्देश्य यह है कि एक वकील को एक से अधिक अदालतों में कार्य करने के लिए न लगाया जाए. यदि लोक अभियोजक केवल अपनी निर्धारित अदालत में उपस्थित रहेंगे, तो इससे मुकदमों का बोझ कम होगा और मामलों का त्वरित निपटारा संभव हो सकेगा.
सरकार ने जानकारी दी है कि 210 अतिरिक्त लोक अभियोजक और 265 सहायक लोक अभियोजकों के पद बनाए गए हैं, लेकिन न्यायालय ने यह स्पष्ट किया है कि इन भर्तियों के लिए अभी तक कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई है. कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह 12 सितंबर तक एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करे.
पीठ ने स्वत: लिया संज्ञान
दिल्ली हाईकोर्ट ने लोक अभियोजकों की कमी के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया है. न्यायालय ने बताया कि कई आपराधिक मामले 5 से 15 वर्षों तक लंबित हैं. जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि सरकारी वकीलों की कमी के कारण न्यायिक अधिकारियों को सुनवाई टालने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जिससे मामलों के निपटारे में अत्यधिक देरी हो रही है.
विज्ञापन निकाला था
सरकार ने अदालत को सूचित किया कि अभियोजन निदेशालय ने 5 जनवरी 2024 को लोक अभियोजकों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया था, जिसमें बाद में कुछ संशोधन किए गए. अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि वह एक नई योजना तैयार कर हलफनामा प्रस्तुत करे, ताकि जिला अदालतों में आपराधिक मामलों की सुनवाई में तेजी लाई जा सके.
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