कई बार हम भक्ति भाव से पूजा कर रहे होते हैं, लेकिन अनजाने में की गई एक छोटी सी गलती हमारी पूरी साधना को निष्फल कर सकती है. ऐसी ही एक महत्वपूर्ण बात है — पूजा के दौरान हमारी परछाई यानी छाया का पूजा सामग्री या देवता पर पड़ जाना.
हिंदू शास्त्रों में कुछ विशेष पूजन ऐसे बताए गए हैं, जिनमें अगर आपकी छाया पड़ जाए, तो पूजा का प्रभाव कम हो सकता है या उसका पूर्ण फल नहीं मिल पाता. यह सिर्फ एक मान्यता नहीं, बल्कि ऊर्जा संतुलन से जुड़ा गहरा संकेत भी माना जाता है.

Also Read This: अगर कामों में आ रही है रुकावट, तो शनिवार को करें ये उपाय

जानिए किन पूजाओं में परछाई वर्जित मानी जाती है:

शिवलिंग की पूजा

शिवपुराण के अनुसार, शिवलिंग पर जल अर्पण करते समय आपकी छाया उस पर नहीं पड़नी चाहिए. इसे पूजा में दोष माना गया है.
कारण: छाया शिवलिंग की पवित्र ऊर्जा को बाधित करती है.

Also Read This: सावन में नहीं मिल रहा गंगाजल? यह छोटा सा मंत्र बना देगा साधारण जल को भी पवित्र

सूर्य को अर्घ्य देते समय

सूर्य देव को जल चढ़ाते समय यह नियम है कि आपकी छाया जल पात्र या सूर्य के प्रतिबिंब पर न पड़े.
मान्यता: सूर्य प्रत्यक्ष देव हैं, और उनकी उपासना में कोई भी अवरोध अशुभ माना जाता है.

दीपक या दीपदान की पूजा

रात्रि पूजा, विशेषकर शनिवार, अमावस्या या दीपावली के दिन दीपदान करते समय ध्यान रखें कि आपकी छाया दीपक पर न पड़े.
विश्वास: छाया पड़ने से दीप का प्रकाश कमजोर होता है और पूजा की ऊर्जा बाधित होती है.

Also Read This: चंदन का टीका अगर अचानक सूख जाए या गिर जाए, तो क्या होता है? जानिए धार्मिक मान्यता और संकेत

तांत्रिक साधनाएं

गुप्त या तांत्रिक पूजन जैसे कि भैरव, काली या चामुंडा की साधना में यह नियम और भी कठोर होता है.
शास्त्र कहते हैं: साधना क्षेत्र में आपकी या किसी की भी छाया पड़ने से पूरा अनुष्ठान व्यर्थ हो सकता है.

तुलसी पूजन

तुलसी पूजन करते समय भी परछाई का ध्यान रखना आवश्यक है. खासतौर पर शाम के समय न तो तुलसी को छुएं और न ही उस पर अपनी छाया डालें.
धारणा: तुलसी माता को शाम के समय छूना और छाया डालना वर्जित माना गया है.

Also Read This: कुंवारी हो या शादीशुदा, क्या हर लड़की लगा सकती है अल्ता? जानिए सदियों पुरानी मान्यता