पटना। बिहार में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव की आहट तेज हो रही है, वैसे-वैसे जातिगत राजनीति भी एक बार फिर अपने चरम पर पहुंचती नजर आ रही है। ताजा मामला राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मीनापुर से विधायक राजीव कुमार उर्फ मुन्ना यादव के एक विवादित बयान को लेकर सामने आया है, जिसने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में मुन्ना यादव ने कुछ ऊंची जातियों जैसे मिश्रा, सिंह, झा और शर्मा को लेकर अपमानजनक टिप्पणी कर दी। उन्होंने कहा कि अब इनकी कोई राजनीतिक हैसियत नहीं रह गई है। विधायक के मुताबिक जातीय सर्वे के बाद इन जातियों की वास्तविक जनसंख्या उजागर हो चुकी है और अब वे मुख्यमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंच सकते।
टिकट देकर चुनाव लड़ाए
उन्होंने यह भी दावा किया कि लालू प्रसाद यादव ने ऐसी राजनीतिक संरचना तैयार की है, जिसमें केवल बहुजन समाज से आने वाले नेता ही सत्ता तक पहुंच सकते हैं। मुन्ना यादव ने चुनौती दी कि अगर किसी में हिम्मत है तो मिश्रा, सिंह, झा, शर्मा जैसे लोगों को टिकट देकर चुनाव लड़ाए, फिर देखे कि जनता क्या फैसला करती है।
नफरत फैलाने के आरोप
इस बयान को लेकर राजद पर एक बार फिर जातीय नफरत फैलाने के आरोप लगने लगे हैं। विपक्षी दलों ने इस बयान को भड़काऊ और समाज को बांटने वाला बताया है। कुछ दिन पहले ही भूरा बाल साफ करो जैसे पुराने विवादित नारे को भी दोहराया गया था जिससे भी विवाद हुआ था।
पुराने तेवर की झलक
गौरतलब है कि मुन्ना यादव को लालू परिवार का करीबी माना जाता है। खुद लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव और राबड़ी देवी उनके लिए चुनाव प्रचार कर चुके हैं। मीनापुर क्षेत्र में उनकी छवि एक दबंग नेता की रही है और यह बयान उनके उसी पुराने तेवर की झलक माना जा रहा है।
रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह के बयान चुनाव से पहले जातीय ध्रुवीकरण की रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन इससे सामाजिक समरसता को गहरा नुकसान पहुंच सकता है। आने वाले दिनों में इस बयान का असर बिहार की सियासी फिजा पर जरूर दिख सकता है।
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