न्यामुद्दीन अली, अनूपपुर। मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले से चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जहां बीजेपी नेता के पुत्र व इलेक्ट्रॉनिक कारोबारी को आठ साल तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया। सीबीआई, जज, हाईकोर्ट वकील और पुलिस अधिकारी बनकर डराया और धमकाकर 45 लाख रुपये भी विभिन्न खातों में जमा करा लिए। शिकायत पर जांच के बाद मामला उजागर हुआ। अनूपपुर पुलिस ने विदिशा जिले से एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। दो अन्य आरोपियों की मौत हो चुकी है। फिलहाल पुलिस ने आरोपी को न्यायालय में पेशकार चार दिन की रिमांड पर लिया है।
2017 में पहली बार 23 लाख धमकाकर जमा कराए
थाना प्रभारी रत्नांबर शुक्ला के अनुसार, कोतमा नगर के भाजपा नेता अवधेश ताम्रकार के पुत्र आशीष ताम्रकार (53) की बाजार में इलेक्ट्रॉनिक दुकान है। वह वायदा बाजार में भी पैसा निवेश करते थे। 23 लाख रुपए उन्हें 2017 में मिले थे। इसकी भनक गिरोह को लग गई। नीमच थाने के अधिकारी बनकर आशीष को फोन किया और 23 लाख रुपये को हवाला की रकम बताकर धमकाया और रुपये अपने खाते में ट्रांसफर करवा लिए।
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इसके बाद ठगों ने अलग-अलग मोबाइल नंबरों का उपयोग कर डिजिटल अरेस्ट किया और कुल 45 लाख रुपये अलग-अलग खातों में डलवाते रहे। इस दौरान बदमाश स्क्रीन पर फर्जी पुलिस, जज, सीबीआई अधिकारी बनने का नाटक कर पुलिस का सायरन भी बजाते रहे। डरा-सहमा व्यापारी गिरफ्तारी के डर से रुपयों की मांग पूरी करता रहा। परेशान होकर उसने जून माह में पुलिस से शिकायत की।
तीन अन्य की तलाश में छापेमारी
पुलिस ने मोबाइल नंबर के आधार पर आरोपी सौरभ (32) पुत्र गोविंद शर्मा निवासी गिरधर कालोनी, देहात थाना, जिला विदिशा को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने उसके पास से लैपटॉप, मोबाइल सहित ठगी के दस्तावेज भी जब्त किए हैं। इस मामले में शामिल मुख्य सरगना महेंद्र शर्मा (26) व उसके साथी रवि डेहरिया की मौत हो चुकी है। आरोपी लकी कुमावत निवासी सतवास पुनासा जिला खंडवा, चित्रांश ठाकुर सहित अन्य आरोपियों की तलाश की जा रही है। महेंद्र शर्मा की 2022 में चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी गई थी। उसके विरुद्ध विदिशा व अन्य जिलों के थाने में 30 से ज्यादा अपराध दर्ज हैं। एक और आरोपी रवि डेहरिया की दो माह पूर्व सड़क हादसे में जान गई थी।
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8 साल में ऐंठे 45 लाख
पुलिस अधीक्षक मोतिउरहान रहमान ने बताया कि आरोपितों ने युवक से साइबर ठगी के जरिए आठ साल में 45 लाख रुपये विभिन्न खातों में जमा कराए हैं। गरोह साइबर ठगी करने को लेकर भोपाल में आरबी ट्रेडर्स, तिरुपति फिनटेक सहित अन्य नाम की फर्जी कंपनियों को दिखावे के लिए खोलते थे। इनका उद्देश्य पूरा सेटअप बनाकर चोरी छिपे साइबर ठगी और डिजिटल अरेस्ट का काम किया जाता था।
भोपाल से भागकर विदिशा में खोली कंपनी
आरोपित अलग-अलग नंबरों और खातों का उपयोग करते थे। भोपाल में फर्जी कंपनी की भनक लोगों को लगने पर वहां से भागकर विदिशा में नए नाम से कंपनी खोली गई। गिरफ्तार आरोपित सौरभ शर्मा ठगी के साथ, प्राइवेट काम करने के और जमीन दलाली की भी सौदेबाजी करता है।

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