दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों ने दुर्लभ कैंसर से पीड़ित एक 65 वर्षीय बुजुर्ग महिला मरीज के पेट से 10.6 किलोग्राम का ट्यूमर Gastrointestinal Stromal Tumor (GIST) निकाल कर नई जिंदगी दी। अस्पताल के सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने 11 जुलाई को छह घंटे में सर्जरी कर उस ट्यूमर को निकाला था। अब उस बुजुर्ग महिला मरीज के स्वास्थ्य में सुधार है और खाना पीना शुरू कर दिया है। इसलिए 18 जुलाई को उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी गई है।

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क्या है गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रोमल ट्यूमर Gastrointestinal Stromal Tumor (GIST) ?

अस्पताल के सर्जरी विभाग की प्रोफेसर डॉ. शिवानी बी. परुथी ने बताया कि मरीज को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रोमल ट्यूमर (जीआईएसटी) था, जो पेट का रेयर कैंसर है। यह ट्यूमर पाचन तंत्र से जुड़े आइसीसी (इंटरस्टीशियल सेल्स आफ काजल) से शुरू होता है।

इस सर्जरी का नेतृत्व डॉक्टर शिवानी बी. परुथी ने किया और यह पूरी प्रक्रिया डायरेक्टर डॉक्टर संदीप बंसल, डॉक्टर चारु भांबा (MS), HOD डॉक्टर कविता, और HOD सर्जरी डॉक्टर आरके चेजारा के मार्गदर्शन में की गई.

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डॉ. शिवानी ने बताया कि, यह बड़ा ट्यूमर पेट के सभी हिस्सों में फैला था और दोनों तरफ की एक्सटर्नल इलिएक वेसल्स को अपनी चपेट में ले चुका था, जिससे मरीज को राइट hydronephrosis हो गई थी. यह एक मुश्किल केस था जिसमें सर्जरी करना काफी चुनौती भरा रहा.

डॉक्टर संदीप बंसल ने इस सफलता पर कहा, “यह उपलब्धि हमारे अस्पताल में मेडिकल अडवांसमेंट का प्रतीक है. इतने बड़े GIST ट्यूमर को हटाना टीमवर्क और समर्पण का नतीजा है. हम इस तरह की जटिल सर्जरी में लगातार आगे बढ़ते रहेंगे.”

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ट्यूमर में भरा था दो किलोग्राम पानी

ट्यूमर पेट के पूरे हिस्से में फैल चुका था और यह छोटी आंत, बड़ी आंत, यूरिनरी ब्लैडर सहित पेट में कई महत्वपूर्ण अंगों के साथ चिपका हुआ था। इसलिए उसे निकाल पाना चुनौतीपूर्ण था। उन्होंने बताया कि कई अस्पतालों में इलाज के लिए भटकने के बाद वह बुजुर्ग महिला मरीज सफदरजंग अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचीं।

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शुरुआत में मेडिकल आंकोलाजी विभाग के डॉक्टरों द्वारा कीमोथेरेपी देकर ट्मूमर छोटा करने का प्रयास किया गया। दो माह में भी इससे खास फायदा नहीं होने के बाद मरीज को सर्जरी विभाग में स्थानांतरित किया गया। इसके बाद तुरंत मरीज की सर्जरी की गई। इस दौरान पेट के सभी अंगों के साथ ट्यूमर के चिपके हुए हिस्से को सावधानी के साथ काटकर अलग कर ट्यमर निकाला गया।

इस दौरान मरीज को काफी रक्तस्राव भी हुआ, लेकिन एनेस्थीसिया के डॉक्टरों के साथ मिलकर सफल सर्जरी की गई। ट्यूमर में दो किलोग्राम पानी भी भरा था। इस तरह वह अपने साथ 12.6 किलोग्राम वजन उठाकर चलने के लिए मजबूर थीं। सर्जरी के बाद मरीज को इस परेशानी से राहत मिली है।

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विभाग से छुट्टी देने के बाद अब मेडिकल आंकोलाजी विभाग के डाक्टर उन्हें कीमो देंगे। वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज व सफदरजंग अस्पताल के निदेशक डॉ. संदीप बंसल ने इसे जटिल सर्जरी बताते हुए कहा है कि अस्पताल मरीजों को अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है।

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