ऋषि चैतन्य आश्रम, गन्नौर में परम पूज्य आनंदमूर्ति गुरुमां के सान्निध्य में पांच दिवसीय ध्यान साधना शिविर सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. इस शिविर में देश के विभिन्न राज्यों, जैसे- कोयंबटूर, तमिलनाडु, कर्नाटक, बेलगाम, महाराष्ट्र, पुणे, गोवा, गुजरात आदि से लगभग 1000 साधकों ने भाग लिया. इसमें सभी 14 से लेकर 90 तक आयु वर्ग के साधक सम्मिलित हुए.

शिविर में प्रतिदिन सभी साधकों के दिन का आरंभ आश्रम में स्थित गुरुमंदिर में गुरु वंदना के स्तोत्रों एवं आरती से होता था. हृदय को भक्ति, श्रद्धा, संकल्प और समर्पण से आपूरित होकर योगाभ्यास एवं प्राणायाम से सभी के तन-मन में ऊर्जा का संचार हो जाता था. आनंदमूर्ति गुरुमाँ जी के मार्गदर्शन में सबने गहन ध्यान सत्र, मौन अभ्यास, संकीर्तन, नाम जप को विधिवत् रूप से सीखा. सत्संग के सत्रों के दौरान गुरुमां जी ने आत्म-ज्ञान, मानव मूल्यों, जीवन में सकारात्मक सोच और आध्यात्मिक जागरण जैसे विषयों पर गूढ़ विचार दिए. हमारे ऋषियों के काल से चली आ रही गुरु-शिष्य परंपराका निर्वाह करते हुआ पूज्य पूज्या गुरुमां ने जिज्ञासुओं के शंकाओं का निवारण किया और उनकी आध्यात्मिक यात्रा में उन्नति के लिए मार्गदर्शन एवं युक्तियों भी दीं.

इसे भी पढ़ें : सावन का दूसरा सोमवार कल, गौरी शंकर स्वरूप में दर्शन देंगे बाबा विश्वनाथ

शिविर के समापन सत्र में विशेष उल्लास का वातावरण देखने को मिला, जिसमें सभी साधक भजनों की धुन पर झूम उठे. सबसे प्रेरणादायी दृश्झ तब सामने आया जब 80 90 वर्ष के वृद्ध साधक भी जोश और उमंग के साथ सभी नृत्य करते दिखे. इस पर गुरुदेव आनंदमूर्ति गुरुमाँ ने कहा कि यह इस बात का प्रमाण है कि जब आपके हृदय में भक्ति हो और जीवन संयमित और अनुशासित हो, तब आप 80-90 वर्ष की आयु में भी स्वस्थ रहकर नृत्य कर सकते हैं. गुरुमाँ के ये शब्द सभी उपस्थित साधकों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक रहे. इसी संदर्भ में गुरुमाँ जी ने एक महान योगी, स्वामी सुब्रमणियम का उल्लेख किया, जिन्होंने 125 वर्ष तक स्वस्थ एवं उत्तम जीवन जिया. गुरुमाँ ने बताया कि स्वामी सुब्रमणियम प्रतिदिन यह प्रार्थना करने की सलाह देते थे, “हे प्रभु, आज से आगे मैं सौ वर्षों तक स्वस्थ जीऊँ.” इस प्रेरक प्रसंग के माध्यम से गुरुमाँ ने साधकों को दीर्घायु, शोक-चिंता से रहित यौगिक जीवन पद्धति को अपनाने का संदेश दिया.

इस पूरे आयोजन का उद्देश्य आत्म-जागरण, सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना और समाज में शांति, स्वास्थ्य व सद्भावना का संदेश प्रचारित था. शिविर के समापन पर सभी प्रतिभागियों ने भविष्य में भी ऐसे आयोजनों के प्रति उत्सुकता व्यक्त की तथा गुरुदेव का आभार प्रकट किया.