दिल्ली नगर निगम (MCD) और अन्य संबंधित विभागों ने चांदनी चौक में अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने की योजना बनाई है. इस उद्देश्य के लिए नगर निगम प्रशासन ने विशेष टीमें गठित की हैं, जो सड़कों पर अवैध कब्जा करने और निर्माण करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगी.
निगम के अधिकारियों ने इस सप्ताह व्यापारियों के साथ एक बैठक आयोजित करने की योजना बनाई है, जिसमें चांदनी चौक के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाएगी और उनसे सहयोग की अपील की जाएगी. अधिकारियों के अनुसार, चांदनी चौक बाजार में प्रतिदिन हजारों लोग खरीदारी के लिए आते हैं. निगम को अवैध रूप से सड़क पर कब्जा, जर्जर इमारतों पर अनधिकृत अतिक्रमण और ई-रिक्शा के अतिक्रमण जैसी कई शिकायतें प्राप्त हुई हैं. इन शिकायतों के आधार पर अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की गई है और कुछ सामान भी जब्त किया गया है. अब अनधिकृत निर्माण की पहचान कर संबंधित नोटिस जारी किए जाएंगे.
चांदनी चौक क्षेत्र में अनधिकृत निर्माण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद विभिन्न विभागों ने कार्रवाई की योजना बनानी शुरू कर दी है. अवैध कब्जों और अनधिकृत निर्माण पर प्रभावी कार्रवाई के लिए पुलिस और नगर निगम की संयुक्त टीमें गठित की जा रही हैं.
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इस वर्ष कई बार दिल्ली के विभिन्न विभागों ने चांदनी चौक में फुटपाथ पर अवैध कब्जों को रोकने, ई-रिक्शा की बढ़ती संख्या से यातायात पर पड़ने वाले प्रभाव, और तारों के जाल को समाप्त करने जैसे मुद्दों पर बैठकें आयोजित की हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने चांदनी चौक अवैध निर्माण पर MCD को लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने चांदनी चौक क्षेत्र में अवैध निर्माण कार्यों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है. शुक्रवार को एमसीडी को फटकार लगाते हुए, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने पुलिस को निर्देश दिया कि वे इलाके में अनधिकृत ईंट लगाते हुए किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करें. डॉ. एस. जेटली एवं अन्य बनाम दिल्ली नगर निगम मामले की सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने उन सभी संपत्तियों को सील करने का आदेश दिया, जहां अवैध निर्माण पाया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने उन क्षेत्रों में सभी संपत्तियों को सील करने का आदेश दिया है, जहां अनधिकृत या अवैध निर्माण पाया गया है. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देशित किया कि वे नियमित गश्त करें और यदि किसी भी अवैध निर्माण का पता चलता है, तो संबंधित व्यक्तियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए. यह मामला नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से जुड़ा हुआ एक बड़ा घोटाला है, जिसे तत्काल रोकने की आवश्यकता है. अन्यथा, सुप्रीम कोर्ट पुलिस को तलब करने पर विचार करेगा.
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