आशुतोष तिवारी, जगदलपुर। शहर का मां दंतेश्वरी ट्रॉमा एंड क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल इन दिनों एक बड़े विवाद के केंद्र में है। खुलासा हुआ है कि यह अस्पताल एक ऐसे व्यक्ति के नाम पर संचालित हो रहा है जिसकी मृत्यु दो साल पहले हो चुकी है। और हैरानी की बात यह है कि महारानी अस्पताल के सरकारी डॉक्टर यहां नियमित रूप से सेवाएं दे रहे हैं।

इस पूरे मामले का भंडाफोड़ लल्लूराम डॉट कॉम की एक विस्तृत जांच रिपोर्ट में हुआ। खबर सामने आने के बाद शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग की जांच टीम मौके पर तो पहुंची, लेकिन कार्रवाई की गंभीरता नदारद दिखी। टीम ने पहले चाय-नाश्ता किया, फिर सिर्फ दस्तावेज़ मांगकर लौट गई। अब पांच दिन बीत चुके हैं, लेकिन ना तो दस्तावेज मिले और ना ही कोई ठोस कार्रवाई हुई। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या विभाग ने जानबूझकर मामले को टाल दिया है या फिर ‘पर्दे के पीछे’ कुछ तय हो चुका है?
अगर यही मामला किसी केंद्रीय जांच एजेंसी जैसे ईडी या सीबीआई के दायरे में आता, तो दस्तावेज़ तत्काल ज़ब्त कर लिए जाते और कार्रवाई उसी वक्त होती। लेकिन इस मामले में जांच एजेंसी का रवैया बेहद ढीला दिखा। अधिकारियों ने न सिर्फ लापरवाही बरती, बल्कि अस्पताल प्रबंधन से दोस्ताना व्यवहार करते भी देखे गए।
लल्लूराम डॉट कॉम के पास पहले से इस अस्पताल से जुड़े कई दस्तावेज़ मौजूद थे और यह जानकारी भी कि अस्पताल बीते दो सालों से मृतक के नाम पर रजिस्टर्ड है। यही नहीं, सीएचएमओ ने भी कैमरे पर यह बात स्वीकार की। इसके बावजूद जांच टीम सिर्फ खानापूर्ति करने पहुंची और दस्तावेज़ दिखाने के लिए समय देकर लौट गई।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग कहता है कि “हमें आवेदन दो, तभी जांच होगी।” मीडिया के खुलासे के बावजूद विभाग जांच करने को तैयार नहीं, जब तक कोई औपचारिक शिकायत न मिले। इससे सवाल उठता है कि आखिर किस दबाव में है स्वास्थ्य विभाग?
पूरा मामला गंभीर मिलीभगत की ओर इशारा करता है। यदि किसी मृत व्यक्ति के नाम पर अस्पताल चल रहा है, तो यह सिर्फ धोखाधड़ी नहीं बल्कि जनस्वास्थ्य के साथ सीधा खिलवाड़ है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे अस्पताल को तत्काल प्रभाव से सील किया जाना चाहिए। लेकिन जब जांच करने वाली टीम की नीयत ही कमजोर हो, और संचालकों को अंदरूनी समर्थन मिल रहा हो, तो कार्रवाई फाइलों में दबकर रह जाती है और जिम्मेदार लोग बच निकलते हैं।
यह पूरा प्रकरण न सिर्फ प्रशासन की निष्क्रियता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी कितनी लचर हो चुकी है।
Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H