कॉलेज में बच्चे शिक्षा लेने जाते है। आम तौर पर स्कूल से अलग कॉलेज में शिक्षक दोस्ताना माहौल के साथ बच्चो को शिक्षा देते है। लेकिन जब शिक्षक ही लगातार टॉर्चर करने लगे तो अक्सर बच्चो का हौसला टूट जाता है और वे कई बार आत्मघाती कदम भी उठा लेते है। ग्रेटर नोएडा की शारदा यूनिवर्सिटी में खुदकुशी कर लेने वाली बीडीएस स्टूडेंट ज्योति शर्मा के साथ भी ऐसा ही हुआ। जांच में खुलासा हुआ है कि, उसे बार-बार अपमानित किया गया था और वह इसे बर्दाश्त नहीं कर सकी और आत्मघाती कदम उठा लिया।

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जांच में सामने आया है कि, ज्योति 18 जुलाई को अपने हॉस्टल के कमरे में मृत पाई गई। इससे कुछ दिन पहले कॉलेज में उस पर एक प्रोफेसर के फर्जी साइन का आरोप लगाया गया था। ज्योति की एक क्लासमेट ने बताया कि इस आरोप के बाद वह काफी तनाव में थी। उसे क्लास में कहा गया था ‘दोबारा अपना चेहरा मत दिखाना’ और उसने अपनी जान दे दी। उस दोस्त ने बताया है कि 10 से 18 जुलाई के बीच आखिर क्या-क्या हुआ था?

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10 जुलाई

दांतों का डॉक्टर बनने के लिए बीडीएस का कोर्स कर रही 21 साल की ज्योति ने 10 जुलाई को ‘डेंचर सैंपल’ का प्रॉजेक्ट जमा किया था। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक ज्योति की क्लास में पढ़ने वाली एक छात्रा ने कहा, ‘प्रोफेसर ने उसे डांटा और फिर क्लास में चेहरा नहीं दिखाने को कहा। इसके बाद वह रोने लगी। उसने कहा कि उसने किसी का फर्जी साइन नहीं किया है। मैंने उससे कहा कि इसे बात को जाने दे, लेकिन वह तनाव में थी।’

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14 जुलाई

इस घटना के बाद स्टूडेंट के पिता को कैंपस में 14 जुलाई को बुलाया गया। उन्होंने बाद में पुलिस को बताया कि एचओडी और प्रोफेसर के साथ मीटिंग में उन्होंने इस बात को कहा कि उनकी बेटी को प्रताड़ित किया जा रहा है। ज्योति की दोस्त ने कहा कि एचओडी ने भरोसा दिया था कि अब कोई मुद्दा नहीं बनेगा। ज्योति के पिता और उसकी दोस्त ने एकजैसे घटनाक्रम बताए हैं। ज्योति ने कथित तौर पर अपनी दोस्त से कहा था कि एचओडी का व्यवहार उसके पिता से ठीक था, लेकिन कुछ प्रोफेसर का बर्ताव ठीक नहीं लग रहा था। जिस प्रोफेसर ने पहली बार उसे डांटा वह उन दो लोगों में शामिल है जिन्हें पुलिस ने सुसाइड नोट मिलने के बाद गिरफ्तार किया। इसमें उनका नाम लेकर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया है।

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16 जुलाई

इस घटनाक्रम के बाद उसने खुद को संभलते हुए दिखाया। 16 जुलाई उसके दोस्त हैरान रह गए जब वह शॉर्ट हेयरकट के साथ पहुंची। दोस्त ने कहा, ‘उसने कहा कि मुझे एक बदलाव की जरूरत थी। मैंने उसकी तारीफ की की और कहा कि यह लुक उस पर अच्छा लग रहा है। लेकिन अंदर से वह अब भी परेशान थी।’ पर उसी दिन तनाव और बढ़ गया। ज्योति के पिता की ओर से पुलिस को दी गई शिकायत के मुताबिक एक क्लास के दौरान एक अन्य प्रोफेसर ने ‘बहुत अधिक शिकायतों’ करने की वजह से डांट दिया। यह अभी साफ नहीं है कि वह क्या बात थी।

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18 जुलाई को जब मजाक उड़ाया गया

18 जुलाई को वह सुबह की क्लास में मौजूद थी। दोपहर बाद एक क्लास रद्द होने पर उसने लैब से जुड़े काम किए। इस दौरान वह स्टाफ रूम में एक प्रोफेसर से साइन करवाने गई। दोस्त ने कहा, ‘जब वह स्टाफ रूम से लौटी तो वह गुस्से में थी। उसने मुझे कहा कि प्रोफेसर ने कहा- तुम तो अपना साइन खुद कर लेती हो।’ और उसका मजाक उड़ाया गया। जब वह एक अन्य प्रोफेसर के पास पीसीपी सैंपल पर साइन कराने गई उस पर फिर फर्जीवाड़े के आरोप लगाए गए।’

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दोस्त ने याद किया, ‘वह रोते हुए लैब में वापस गई और फिर सैंपल्स बनाए। करीब 4 बजे उसने कहा कि कह रूम में जा रही है। इसके बाद कुछ ही लोगों ने उसे देखा।’ उसकी मां ने करीब 5 बजे फोन किया लेकिन उसने जवाब नहीं दिया। इसके बाद उसने एक स्टूडेंट के रूप में कुछ टाइम बताया जहां वह कथित तौर पर रोई और पढ़ाई की सलाह दी। इसके बाद वह लौट गई और रात करीब 9 बजे मृत पाई गई।

पिता की ओर से पुलिस को दी गई शिकायत के मुताबिक, डीन,एचओडी समेत पांच फैकल्टी का नाम एफआईआर में शामिल किया गया है। शारदा यूनिवर्सिटी ने एक जांच कमिटी का गठन किया है।

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इन सवालों के जवाब नहीं

यह रहस्य बना हुआ है कि क्यों उसके जमा कराए काम पर बार-बार सवाल उठा जा रहे ते। क्या गलत तरीके से उसे टारगेट किया जा रहा था या उसके डॉक्युमेंट में सही में कमियां थीं, यह अभी साफ होना बाकी है। हालांकि, उसकी क्लासमेट ने कहा कि पहले कोई मामला नहीं था। यूनिवर्सिटी की ओर से सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक एक फैकल्टी सदस्य ने कहा, ‘वह बीडीएस कर रही थी और लाइसेंस के लिए सरकारी अधिकारियों की ओर से ऑडिट किया जाता है। यदि उसके प्रैक्टिकल्स उस स्तर के नहीं थे और प्रोफेसर ने दोबारा करने को कहा तो उसे चीजों को सकारात्मक रूप से लेना चाहिए था। यदि ऑडिट में ऐसा निकलता है कि प्रैक्टिकल्स ठीक नहीं तो कॉलेज का लाइसेंस भी सस्पेंड हो सकता है।’

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हालांकि, उसकी दोस्त ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा, ‘फर्स्ट ईयर के एग्जाम में उसके 600 में से 368 नंबर आए थे। लिखित परीक्षा से पहले प्रॉजेक्ट फाइल जमा करना जरूरी होता है। वह तनाव में थी क्योंकि उस पर साइन नहीं हुए थे।’ पुलिस और यूनिवर्सिटी की ओर से की जा रही जांच में यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि फैकल्टी के व्यवहार की वजह से वह तनाव में थी या वजह कोई और भी थी।

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