Vice President Jagdeep Dhankhar Resignation: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दे दिया है। 21 जुलाई को रात 9 से 10 बजे के बीच जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंपा। इस अचानक इस्तीफे से राजनीतिक हलचल मच गई है। मानसून सत्र के पहले दिन ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की टाइमिंग को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इस बीच सनसनीखेज जानकारी सामने आई है। दावा किया जा रहा है कि मानसून सत्र का पहले दिन विपक्ष के हंगामे के बाद पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में ही जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की पूरी स्क्रिप्ट लिखी गई। इतना ही नहीं, धनखड़ के इस्तीफे से पहले वरिष्ठ बीजेपी नेता और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय में गतिविधियां तेज थी। सूत्रों के अनुसार एक बीजेपी सांसद ने नाम न बताने की शर्त पर कहा था कि उनसे सफेद कागज पर हस्ताक्षर करवाए गए।

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बीजेपी सूत्रों के मुताबिक शाम को संसद में राजनाथ सिंह के कार्यालय के बाहर भी काफी हलचल रही और बैठकें भी खूब हुईं। सूत्रों का कहना है कि भाजपा सांसद राजनाथ के कार्यालय में घुसे और बिना कुछ बोले ही बाहर निकल गए। एक भाजपा सांसद ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनसे कोरे कागज पर दस्तखत करवाए जा रहे थे।

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हालांकि विपक्षी सांसद इस बात को लेकर उत्साहित थे और उन्हें विश्वास था कि महाभियोग प्रस्ताव सबसे पहले राज्यसभा में लाया जाएगा क्योंकि राज्यसभा के सभापति भारत के उपराष्ट्रपति भी होते हैं और प्रोटोकॉल के अनुसार सरकार में स्पीकर से पद में बड़े होते हैं।

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पीएम मोदी ने ली थी हाईलेवल बैठक

बता दें कि संसद के मानसून सत्र का पहला दिन काफी हंगामेदार रहा। सरकार और विपक्ष एक दूसरे पर तमाम मुद्दों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगाते नजर आए। वहीं, संसद भवन में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक भी आयोजित की गई थी। इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत कई मंत्री शामिल हुए थे। इस बैठक का मकसद क्या था ये बात बाहर निकलकर सामने तो नहीं आई है। हालांकि बीजेपी के नेता ही दबी जुबान कह रहे हैं कि शायद इसी बैठक में जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की पूरी स्क्रिप्ट लिखी गई।

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विपक्ष को भी नहीं पच रहा स्वास्थ्य का हवाला

 स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर इस्तीफा देने की बात न तो राजनीतिक पंडितों को पच रहा है और नही विपक्ष को। संसद की कार्यवाही के दौरान विपक्ष और जगदीप धनखड़ के रिश्ते काफी तल्ख रहें। विपक्ष धनखड़ को तानाशाह, हेडमास्टर, सरकार के प्रवक्ता तक कह चुका है। बावजूद इसके उनके अचानक इस्तीफा देने पर सवाल खड़े कर रहा है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मुख्य सचेतक जयराम रमेश, जिनके साथ राज्य सभा में उपराष्ट्रपति की कई बार बहस हुई, ने बताया कि उन्होंने शाम 7:30 बजे धनखड़ से टेलीफोन पर बात की थी। तब धनखड़ अपने परिवार के साथ थे और उन्होंने कहा कि वह कल उनसे बात करेंगे। इससे पहले शाम लगभग 5 बजे जयराम रमेश, प्रमोद तिवारी और अखिलेश प्रसाद सिंह धनखड़ से मिले। जयराम ने कहा कि सब कुछ सामान्य लग रहा था क्योंकि धनखड़ ने कहा कि बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक मंगलवार सुबह 10 बजे होगी।

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उन्होंने एक्स पर लिखी अपनी पोस्ट में कहा,  ‘मैं शाम तकरीबन 5 बजे तक उनके साथ था, कई अन्य सांसद भी मौजूद थे। इसके बाद शाम 7:30 बजे मैंने उनसे फ़ोन पर बात भी की थी। इसमें कोई संदेह नहीं कि धनखड़ को अपने स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। लेकिन यह स्पष्ट है कि उनके इस पूरी तरह से अप्रत्याशित इस्तीफ़े के पीछे जो दिख रहा है, उससे कहीं अधिक कुछ है।

वहीं कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि ये हमारे लिए शॉकिंग है, क्योंकि शाम 5.45 बजे मैं उनकी केबिन से बाहर निकला। हमारे साथ जयराम रमेश और प्रमोद तिवारी भी थे। हमारी जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग के मुद्दे पर चर्चा भी हुई। उस समय लगा ही नहीं की उनकी तबीयत खराब है। वो काफी निष्पक्षता से सदन चलाते थे। ये देश की राजनीति के लिए एक बड़ा झटका है।

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एक सियासी तूफान आकार ले रहा था

ऊपर से सामान्य दिखने वाले राजनीतिक गतिविधियों के ठीक पीछे एक सियासी तूफान आकार ले रहा था। सोमवार को सभापति जगदीप धनखड़ ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के विपक्षी सदस्यों के नोटिस को स्वीकार कर लिया। यह लगभग उसी समय (दोपहर 2 बजे) हुआ जब यह खबर आई कि निचले सदन में सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के 100 से ज़्यादा सांसदों ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। लगभग 4:07 बजे राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने महाभियोग प्रस्ताव पर 63 विपक्षी सांसदों से नोटिस मिलने की विस्तृत जानकारी दी।

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उन्होंने उस प्रक्रिया की याद दिलाई जब किसी न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर दोनों सदनों में नोटिस दिए जाते हैं।  धनखड़ ने प्रक्रिया का विवरण दिया और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से यह पुष्टि करने के लिए भी कहा कि क्या निचले सदन में नोटिस दिया गया है। फिर उन्होंने एक संयुक्त समिति के गठन और नियमों के अनुसार आगे की कार्रवाई की बात कही। इस तरह पता चलता है कि उन्होंने अपने अंतिम संबोधन और उपस्थिति में भी उन्होंने अपने स्वास्थ्य या इस्तीफा देने के किसी अन्य इरादे की ओर कोई इशारा नहीं किया था।

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