Justice Yashwant Verma Impeachment Case: कैश कांड (Cash scandal) में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 21 जुलाई को मानसून सत्र के पहले दिन संसद के दोनों सदनों में उनके खिलाफ महाभियोग के नोटिस पीठासीन अधिकारियों को सौंपे गए। इन पर पक्ष-विपक्ष के 215 सांसदों (लोकसभा में 152 और राज्यसभा में 63) के हस्ताक्षर हैं। आजाद भारत में यह पहली बार हो रहा है कि किसी हाईकोर्ट जज के खिलाफ महाभियोग लाया जा रहा है। इसकी जानकारी राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने मानसून सत्र के पहले दिन सांसदों को दी थी।
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महाभियोग प्रस्ताव को भाजपा, कांग्रेस, टीडीपी, जेडीयू, सीपीएम और अन्य दलों के सांसदों का समर्थन मिला है। साइन करने वालों में सांसदों में राहुल गांधी, अनुराग ठाकुर, रविशंकर प्रसाद, राहुल गांधी, राजीव प्रताप रूडी, सुप्रिया सुले, केसी वेणुगोपाल और पीपी चौधरी जैसे सांसद भी शामिल हैं।
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अब आगे क्या…
- जांच समिति बनेगी: अब संसद अनुच्छेद 124, 217, 218 के तहत जांच करेगी। न्यायाधीश जांच अधिनियम 1968 की धारा 31बी के मुताबिक जब एक ही दिन दोनों सदनों में महाभियोग नोटिस देते हैं तो संयुक्त जांच समिति का बनती है।
- तीन महीने में रिपोर्ट: समिति में सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ जज, किसी हाईकोर्ट के मौजूदा चीफ जस्टिस और एक प्रतिष्ठित न्यायविद होंगे। समिति जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की जांच करेगी और रिपोर्ट तीन महीने में देगी।
- संसद में देंगे रिपोर्ट: समिति जांच रिपोर्ट संसद में देगी। दोनों सदन चर्चा करेंगे। जस्टिस वर्मा को हटाने के प्रस्ताव पर मतदान होगा।
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जस्टिस वर्मा के घर में आग के बाद बेहिसाब कैश मिला था
दरअसल जस्टिस वर्मा के लुटियंस स्थित बंगले पर 14 मार्च की रात आग लगी थी। इसे अग्निशमन विभाग के कर्मियों ने बुझाया था। घटना के वक्त जस्टिस वर्मा शहर से बाहर थे। 21 मार्च को कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि जस्टिस वर्मा के घर से 15 करोड़ कैश मिला था। काफी नोट जल गए थे।घटना के कई वीडियो भी सामने आए। इसमें जस्टिस के घर के स्टोर रूम से 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे दिखे। जस्टिस वर्मा उस समय दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस थे। बाद में उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था।
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CJI की बनाई कमेटी ने जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया है
22 मार्च को तत्कालीन CJI संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की इंटरनल जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई। पैनल ने 4 मई को CJI को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसमें जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया गया था। रिपोर्ट के आधार पर ‘इन-हाउस प्रोसीजर’ के तहत पूर्व CJI खन्ना ने 8 मई सरकार से जस्टिस वर्मा को हटाने की सिफारिश की थी। जांच समिति में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन थीं।
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जस्टिस वर्मा ने कमेटी की रिपोर्ट को चुनौती दी है
जस्टिस यशवंत वर्मा ने 18 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने इन-हाउस कमेटी की रिपोर्ट और महाभियोग की सिफारिश रद्द करने का अनुरोध किया। जस्टिस वर्मा ने कहा कि उनके आवास के बाहरी हिस्से में नकदी बरामद होने मात्र से यह साबित नहीं होता कि वे इसमें शामिल हैं। क्योंकि आंतरिक जांच समिति ने यह तय नहीं किया कि नकदी किसकी है या परिसर में कैसे मिली।
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