पटना। बिहार की राजनीति में एक ऐतिहासिक पहल सामने आई है। पहली बार दलितों ने अपनी राजनीतिक आवाज को खुद दर्ज करने का फैसला किया है। अब तक चुनावी सर्वेक्षण बाहरी एजेंसियों और संस्थानों के अधीन होते थे, लेकिन इस बार नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन्स (NACDOR) और The Convergent Media (TCM) ने मिलकर एक नया अध्याय शुरू किया है। उन्होंने दलित युवाओं को ट्रेनिंग देकर अपने ही समाज में जाकर सर्वे करने की ज़िम्मेदारी सौंपी।
समुदाय-आधारित सर्वेक्षण
इस सर्वे के तहत बिहार के 18,581 दलित मतदाताओं से बातचीत की गई। ये नतीजे सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि बिहार के दलित समाज में उठ रही राजनीतिक जागरूकता और नेतृत्व की बुनियाद हैं। दिल्ली के बाद बिहार में यह अब तक का सबसे बड़ा समुदाय-आधारित सर्वेक्षण माना जा रहा है।
क्या कहता है दलितों का मूड?
राष्ट्रीय नेता की पसंद:
नरेंद्र मोदी – 47.5%
राहुल गांधी – 40.3% (कोसी और भोजपुर में बढ़त)
बिहार का पसंदीदा नेता:
तेजस्वी यादव – 28.83%
चिराग पासवान – 25.88%
नीतीश कुमार – 22.8%
महागठबंधन बनाम एनडीए:
महागठबंधन – 46.13%
एनडीए – 31.93%
अन्य – 21.94%
पिछला वोट (2020):
महागठबंधन – 45.94%
एनडीए – 36.53%
अन्य – 17.8%
वोटर लिस्ट से नाम गायब होने का डर
सर्वे का सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि 71.56% दलितों को आशंका है कि उनका नाम वोटर लिस्ट से हटाया जा सकता है। SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) प्रक्रिया के बाद यह डर और गहराया है। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बावजूद यह चिंता बिहार के लोकतंत्र के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुकी है।
मुद्दा बेरोजगारी, नहीं जाति
58.85% दलितों ने बेरोजगारी को सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बताया।
82.89% आरक्षण का दायरा बढ़ाने के पक्ष में।
मतदान का आधार:
उम्मीदवार – 44.66%
पार्टी – 32.51%
जाति – केवल 10.11%
सबसे लोकप्रिय दलित नेता
रामविलास पासवान – 52.35%
बाबू जगजीवन राम – 29.6%
यह संकेत है कि रामविलास की विरासत अब भी मजबूत है और इसका असर LJP और कांग्रेस दोनों के राजनीतिक समीकरणों पर पड़ सकता है।
क्षेत्रीय और जातीय रुझान:
कोसी और भोजपुर – महागठबंधन को भारी समर्थन
सीमांचल – NDA मजबूत
मिथिलांचल और मगध-पाटलिपुत्र – कांटे की टक्कर
चंपारण – अन्य दलों को अच्छा समर्थन
जातीय स्तर पर रविदास और दुसाध समाज निर्णायक भूमिका में हैं। रविदास समुदाय में तेजस्वी और राहुल दोनों लोकप्रिय हैं, जबकि दुसाध और मुसहर समाज में NDA को तुलनात्मक बढ़त है।
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