सरोगेसी (surrogacy) के माध्यम से जन्मी एक बच्ची को लगभग ढाई साल बीत जाने के बाद भी उसकी मां नहीं मिल पाई है, और वह अनाथालय में रहने को मजबूर है. चौंकाने वाली बात यह है कि बच्ची का DNA न तो उसकी जन्म देने वाली मां से मेल खा रहा है और न ही उस महिला से जिसने कथित तौर पर अंडाणु प्रदान किया था. दोनों के DNA सैंपल जांच में असफल रहे हैं. यह जानकारी दिल्ली एयरपोर्ट पुलिस(Delhi Police) ने अदालत में प्रस्तुत की है, और अब पुलिस बच्ची की जैविक मां का पता लगाने के लिए नई जांच शुरू करने की योजना बना रही है.

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अप्रैल 2023 में दिल्ली एयरपोर्ट पर ओमवती नामक महिला से एक नवजात बच्ची बरामद की गई, जिसे वह हैदराबाद में बेचने के लिए ले जा रही थी. ओमवती ने पुलिस को बताया कि बच्ची का जन्म आईवीएफ प्रक्रिया के माध्यम से हुआ है. इस प्रक्रिया में डॉली नामक महिला ने पैसे लेकर अपनी कोख दी, जबकि सोनिका नामक महिला ने रुपये देकर IVF करवाई. हालांकि, बेटी होने के कारण दोनों महिलाएं बच्ची को अपनाने से इंकार कर रही थीं. पुलिस ने इस मामले में डॉली को गिरफ्तार किया, साथ ही बिचौलियों प्रतिभा यादव और दीप्ती बेनीवाल को भी हिरासत में लिया गया.

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 बच्ची की जैविक मां की पहचान करना एक चुनौती बन गया है. अदालत ने डॉली, उसके पति लोकेन्द्र, सोनिका और उसके पति अविनाश की डीएनए जांच कराने का आदेश दिया था. पुलिस ने इन चारों व्यक्तियों और बच्ची के खून के नमूने डीएनए परीक्षण के लिए एफएसएल में भेजे थे. अप्रैल महीने में डॉली और लोकेन्द्र की डीएनए रिपोर्ट आई, जो बच्ची के साथ मेल नहीं खा रही थी.

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हाल ही में पुलिस को सोनिका और उसके पति की डीएनए जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई, जो बच्ची के साथ मेल नहीं खा रही है. इस स्थिति में पुलिस के लिए बच्ची की मां को ढूंढना एक बड़ी चुनौती बन गई है.

दंपती को जमानत दी

इस मामले में जहां डॉली, जो कि जन्म देने वाली महिला हैं, को गिरफ्तार किया गया था, वहीं आईवीएफ कराने वाली सोनिका और उनके पति अंतरिम जमानत पर थे. डीएनए रिपोर्ट के आने के बाद, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश किरण गुप्ता की अदालत ने दंपती को नियमित जमानत पर रिहा कर दिया है.